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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर नियमों में पहले से इस बात की व्यवस्था हो कि नौकरी पात्रता में बदलाव हो सकता है, तो ऐसा किया जा सकता है. लेकिन समानता के अधिकार का उल्लंघन करते हुए मनमाने तरीके से नहीं हो सकता.

जस्टिस सीटी कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह फैसला सुनाया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि विवादित आदेश रद्द किया जाता है. एफआईआर और आपराधिक कार्यवाही कानून के मुताबिक आगे बढ़ाई जाएगी.

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट को बताया गया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा जांच शुरू कर दी गई है.

सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने कहा कि कानून तोड़ने वाले बच्चों के पुनर्वास में अधिकारियों की भूमिका एवं व्यवस्था मुहैया कराने में अराजकता, भ्रम और अनिश्चितता है. उन्होंने दिल्ली सरकार को किशोर मामलों को लेकर एक स्पष्ट आदेश जारी करने का निर्देश दिया.

NEET-UG 2024 परीक्षा को लेकर दायर पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. यह पुनर्विचार याचिका काजल कुमारी सहित अन्य की ओर से दायर की गई थी. कोर्ट ने कहा कि उपलब्ध सामग्री के आधार पर दोबारा परीक्षा के आदेश देना संभव नही है.

जस्टिस अनीश दयाल ने अभियोजन पक्ष द्वारा सुदर्शन सिंह वजीर के सरेंडर की मांग करने वाली याचिका को स्वीकार कर लिया. अदालत ने कहा कि सुदर्शन सिंह वजीर को हिरासत में लिया जाना जरूरी है.

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की गई बुलडोजर की कार्रवाई पर नाराजगी व्यक्त की है. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को अवैध रूप से तोड़फोड़ की कार्रवाई करने के मामले में जांच करने और याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है.

मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की बेंच ने कहा कि अगर आप इसमें डुबकी लगाते हैं तो स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है. हम इसमें अनुमति नहीं दे सकते है. 

जस्टिस हृषिकेश रॉय ने कहा, हमारा मानना ​​है कि यदि परिवहन वाहन का वजन 7500 किलोग्राम के अन्दर है तो एलएमवी लाइसेंस धारक भी उस वाहन को चला सकता है. इस फैसले से एलएमवी धारक को बीमा दावा करने में भी मदद मिलेगी.

दिल्ली हाईकोर्ट ने कई चेतावनी के बावजूद सुनवाई में बाधा डालने को लेकर एक वकील से जवाब मांगा है. उसने वकील से पूछा है कि उसके खिलाफ क्यों न अवमानना की कार्यवाही की जाए. न्यायमूर्ति गिरीश कथपालिया ने कहा कि वकील उन्हें आदेश लिखवाने के दौरान बाधा डाल रहा था.