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बाल तस्करी के आरोपियों को जमानत देने पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को फटकारा, राज्यों के लिए जारी किए दिशा-निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने बाल तस्करी के आरोपियों को हाई कोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने पर सख्त टिप्पणी की है और उत्तर प्रदेश सरकार और इलाहाबाद हाईकोर्ट पर नाराजगी जताई है.

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सुप्रीम कोर्ट ने बाल तस्करी के आरोपियों को हाई कोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने पर सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और इलाहाबाद हाईकोर्ट पर नाराजगी जताई है. जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने निचली अदालतों को बाल तस्करी के मामलों की सुनवाई 6 महीने में पूरा करने का निर्देश दिया है.
साथ ही कोर्ट ने ऐसे मामलों से निपटने के लिए राज्यों द्वारा पालन किए जाने वाले दिशा-निर्देश तय किए है.

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के बच्चों की तस्करी मामले में आरोपियों द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि अगर अस्पताल से नवजात शिशु चोरी होती है, तो सबसे पहला कदम संबंधित अस्पताल का लाइसेंस रद्द करना है. कोर्ट 21 अप्रैल को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.

बाल तस्करी मामलों के लिए राज्यों के लिए दिशा-निर्देश तय

सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के हइकॉर्ट्स को बाल तस्करी के मामलों में लंबित मुकदमों की स्थिति जानने का निर्देश दिया है. इसके बाद 6 महीने में मुकदमे को पूरा करने और दिन प्रतिदिन सुनवाई करने का निर्देश दिया जाएगा. कोर्ट ने यह आदेश उस मामले की सुनवाई के दौरान की जिसमें तस्करी करके लाए गए एक बच्चे को उत्तर प्रदेश के एक दंपत्ति को सौंप दिया गया था, जो बेटा चाहते थे.

कोर्ट ने कहा कि आरोपी को बेटे की चाहत थी और उसने चार लाख रुपये में बेटा खरीद लिया. अगर आप बेटे की चाहत रखते है, तो आप तस्करी किए गए बच्चे को नहीं खरीद सकते. वह जानता था कि बच्चा चोरी हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले में दी गई विस्तृत सिफारिशों पर विचार करें और भारतीय संस्थान द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट का अध्ययन करें और जल्द-से जल्द उसे लागू करें.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाल तस्करी के निर्देशों को लागू करने में किसी भी तरह की ढिलाई को गंभीरता से लिया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि माता-पिता के रूप में आपको अपने बच्चे के बारे में सतर्क रहना चाहिए. जब बच्चा मर जाता है तो माता-पिता को जो दर्द और पीड़ा होती है, वह तब अलग होती है, जब बच्चा तस्करी के गिरोह के हाथों खो जाता है. जब बच्चा मर जाता है तो बच्चा भगवान के पास होता है, लेकिन जब वह खो जाता है कि वे ऐसे गुरोहों की दया पर होते है.

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-भारत एक्सप्रेस 



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