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प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पर्वतीय चोटियां, ताजे पानी की झील और शांति स्तूप… पोखरा में लीजिए हरियाली का आनंद

दुर्गादत्त पांडेय | नेपाल


प्रकृति की सुंदर वादियों में बसा अपने हिंदुस्तान से सटा एक संप्रभुता प्राप्त देश, जहां का रहन-सहन बहुत कुछ हिंदुस्तान पर निर्भर है. देखा जाए तो प्राचीन काल में भौगोलिक एवं सांस्कृतिक दृष्टियों से नेपाल को भारत का ही एक अंग समझा जाता था. नेपाल नाम भी महाभारत के समय में प्रचलित था.

नेपाल का इतिहास भारतीय साम्राज्यों से प्रभावित हुआ, किंतु यह दक्षिण एशिया का एकमात्र देश था, जो ब्रिटिश उपनिवेशवाद से बचा रहा. फिलहाल नेपाल के इतिहास आदि के बारे में आप खुद से सर्च करके जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. लखनऊ से सोनौली की दूरी 314 और ककरहवा की दूरी 293 किलोमीटर है, जिसे पूरा करने में 5-6 घंटे लगते हैं. आप इनमें से कोई भी रास्ता का प्रयोग कर सकते हैं.

सोनौली सीमा से शुरू हुई नेपाल यात्रा

नेपाल की हमारी यात्रा हिंदुस्तान की सोनौली (जिला महराजगंज, उत्तर प्रदेश) सीमा से प्रारंभ हुई. सीमा पारकर हम सबने अपनी यात्रा अवधि का गाड़ियों का भंसार जमा किया, जो 350 रुपये नेपाली प्रतिदिन का था. यह ध्यान देने योग्य बात है कि अगर आप बुटवल शहर तक जाते हैं, तो इस प्रक्रिया तक ही गुजरना है. अगर आगे जाने का प्लान है तो आप को अस्थायी परमिट भी बनवाना पड़ेगा. इसका भी शुल्क 300 रुपये नेपाली प्रतिदिन होगा. यह सब प्रक्रिया आप खुद से या वहां आसपास मौजूद लोगों के माध्यम से करा सकते हैं, जो कि एक 100 रुपये का नाममात्र का शुल्क लेकर आसानी से करा देते हैं.

तानसेन में रुकना चाहिए

नेपाल की असली यात्रा बुटवल के बाद शुरू होती है जो गोल-गोल ऊपर नीचे पहाड़ों से होती गुजरती है. बुटवल से पोखरा की दूरी मात्र 180 किलोमीटर है पर दुर्गम रास्तों के चलते इस यात्रा में 7-8 घंटे लग जाते हैं. जैसा कि हम लोगों ने किया अगर यह यात्रा आप शाम से शुरू करते हैं तो आप को एक ब्रेक लेकर तानसेन में रुकना चाहिए. तानसेन 1350 मीटर की ऊंचाई पर एक हिल स्टेशन जैसी खूबसूरत जगह है. अगले दिन सुबह 5:00 बजे हम सब निकल लिए पोखरा (Pokhara Town) के लिए और सुबह 11:00 बजे होटल रीवर फ्रंट में चेक इन किया.

प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है पोखरा

पोखरा अपने अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य, झीलों, पर्वतीय चोटियों और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए विख्यात है. पोखरा शांति स्तूप, सारंगकोट, फेवा झील, जिसके किनारे किनारे सजी दुकानें एवं मनोरंजन के केंद्र गोवा जैसी फील देते हैं. पैराग्लाइडिंग, केबल कार सहित कई अन्य सुविधाओं का आप पोखरा में आनंद ले सकते हैं. रास्ते में गंडकी नदी पर बना झूले का पुल भी रोमांचित करने वाला है.


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-भारत एक्सप्रेस

Vijay Ram

ऑनलाइन जर्नलिज्म में रचे-रमे हैं. हिंदी न्यूज वेबसाइट्स के क्रिएटिव प्रेजेंटेशन पर फोकस रहा है. 10 साल से लेखन कर रहे. सनातन धर्म के पुराण, महाभारत-रामायण महाकाव्यों (हिंदी संकलन) में दो दशक से अध्ययनरत. सन् 2000 तक के प्रमुख अखबारों को संग्रहित किया. धर्म-अध्यात्म, देश-विदेश, सैन्य-रणनीति, राजनीति और फिल्मी खबरों में रुचि.

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