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सर सैयद अहमद खान की जयंती पर दिल्ली में मेमोरियल व्याख्यान, प्रोफेसर अख्तर अल वासे बोले- वो भविष्यवादी ही नहीं, पूर्वदर्शी भी थे

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सर सैयद अहमद खान (1817-1898) की जयंती के अवसर पर दिल्ली स्टेट हज कमेटी स्टाफ वैल्फेयर एण्ड चैरिटेबल ट्रस्ट और मिशन एजुकेशन तथा गालिब इंस्टीट्यूट की अगुवाई में बड़ा आयोजन हुआ.

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समाज सुधारक सर सैयद अहमद खान (1817-1898) की आज जयंती मनी.

Sir Syed Ahmed Khan : दिल्ली में मुस्लिमों के एक प्रमुख समाज सुधारक माने-जाने वाले सर सैयद अहमद खान (1817-1898) की आज जयंती है. इस मौके पर 17 अक्टूबर को नई दिल्ली में दिल्ली स्टेट हज कमेटी स्टाफ वैल्फेयर एण्ड चैरिटेबल ट्रस्ट और मिशन एजुकेशन तथा गालिब इंस्टीट्यूट के सहयोग से, एवाने गालिब में खास आयोजन हुआ. जहां सर सैय्यद और बौद्धिकता की परंपरा शीर्षक से सर सैयद के मेमोरियल उपदेश, भारत में बौद्धिक परंपरा और सर सैयद को पद्म प्रोफेसर अख्तर अल वासे ने भारत में बौद्धिकता की परंपरा में एक अद्वितीय और बौद्धिक इतिहासकार के रूप में एकमात्र व्यक्तित्व घोषित किया.

प्रोफेसर अख्तर अल वासे बोले- सर सैयद अहमद खान के विचार और कार्य का दायरा हमारे सामाजिक जीवन के विभिन्न और असंख्य क्षेत्रों तक फैला हुआ है. राष्ट्र के सुधार मिशन के इतिहास में ऐसे बहुत कम लोग होंगे, जिन्होंने अपने राष्ट्र के सर्वांगीण सुधार और विकास के लिए काम किया हो. सर सैयद भविष्यवादी होने के साथ-साथ पूर्वदर्शी भी थे. इसलिये जहां उन्होंने आसार-उस- सनादीद और अन्य कृतियों के द्वारा बेहतर भविष्य का इतिहास प्रस्तुत किया. वहीं अली गढ़ में 1875 में मदरसा-तुल-उलूम की स्थापना की जो बाद में मुहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल बन गया और अब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के रूप में भारत के महान विश्वविद्यालयों में से एक के रूप में जाना जाता है.

दिल्ली स्टेट हज कमेटी स्टाफ वेलफेयर एंड चैरिटेबल ट्रस्ट और मिशन एजुकेशन द्वारा गालिब इंस्टीट्यूट के सहयोग से आयोजित इस सर सैयद मेमोरियल व्याख्यान में दिल्ली राज्य हज कमेटी की चेयरपर्सन मोहतरमा कौसर जहां ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया. उन्‍होंने सर सैयद जैसे अनुकरणीय व्यक्ति पर इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए ट्रस्ट के सदस्यों को बधाई दी और कहा कि सर सैयद ने रूढ़िवादी विचारों को त्यागकर आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा देने पर ध्यान दिया था.

पीएम मोदी ने एक हाथ में कुरान, दूसरे में लैपटॉप का नारा दिया
उन्‍होंने कहा- ‘प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने मुस्लिम समाज में शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध कराने और मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाने की बात करके सर सैयद के मिशन को बढ़ावा दिया है और जिन्होंने भारतीय मुस्लिम युवाओं के एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में लैपटॉप का नारा दिया है.’

सर सैयद का कार्यक्षेत्र पूरा देश था- अशफाक अहमद
कार्यक्रम की शुरुआत दिल्ली स्टेट हज कमेटी के कार्यकारी अधिकारी अशफाक अहमद आरफी ने ट्रस्ट की स्थापना के लक्ष्य और उद्देश्यों पर प्रकाश डाला. अशफाक अहमद ने कहा- चूंकि सर सैयद अहमद इस चारदीवारी वाले शहर दिल्ली के बेटे थे, हालांकि उनका कार्यक्षेत्र पूरा देश था, खासकर अलीगढ़, लेकिन उन्होंने अपनी आंखें इसी धरती पर खोलीं, यहीं पैदा हुए और यहीं पले-बढ़े, इसलिए यहां के निवासियों का कल्याण हुआ.

हर साल आयोजित की जाएगी व्याख्यानों की श्रृंखला
दिल्ली स्टेट हज कमेटी और चैरिटेबल ट्रस्ट ने सर सैयद को श्रद्धांजलि देने के लिए स्मरणीय व्याख्यानों की जो यह श्रृंखला शुरू की है वह हर साल इंशाअल्लाह इसी तरह आयोजित की जाएगी. उन्होंने आगे कहा कि सर सैयद की विशेषता यह थी कि उन्होंने भारतीय मुसलमानों को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सुधार और सफलता के लिए मार्गदर्शन किया और अपनी बौद्धिक अंतर्दृष्टि से देश और राष्ट्र को शैक्षणिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनीतिक, साहित्यिक और व्यावसायिक रूप से बेहतर बनाने का प्रयास किया. दुनिया के बेहतर और सभ्य राष्ट्र को एक साथ लाने के लिए और शैक्षणिक प्रगति को सभी समृद्धि का स्रोत और साधन घोषित किया.

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शायर मतीन अमरोहवी ने प्रस्तुत की कविता
इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध शायर मतीन अमरोहवी ने इस विशेष अवसर पर सर सैयद के सम्मान में लिखी एक रचना और एक कविता प्रस्तुत की, जबकि मिशन एजुकेशन के अध्यक्ष शफी देहलवी और गालिब इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. इदरीस अहमद अपने विचार व्यक्त किये.

— भारत एक्सप्रेस

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