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PM नरेंद्र मोदी के नाम पर ट्रस्ट चलाने के आरोप में शख्स के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने से दिल्ली हाईकोर्ट ने किया इनकार

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गृह मंत्रालय की शिकायत पर एक शख्स पवन पांडे के खिलाफ मामला दर्ज किया था। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि वह एक राष्ट्रीय समाचार चैनल पर प्रसारित विज्ञापन में पीएम मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल कर रहे हैं।

Rohini Court

प्रतीकात्मक फोटो.

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर एक धर्मार्थ ट्रस्ट चलाने के आरोप में एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया.

जस्टिस अमित महाजन ने 13 अप्रैल को आदेश सुनाते हुए कहा कि आरोपी पवन पांडे के खिलाफ विशेष आरोप थे कि उन्होंने अपने गैर-सरकारी संगठन ‘मोदी चैरिटेबल ट्रस्ट’ के लिए चंदा इकट्ठा करते समय प्रधानमंत्री के उपनाम और तस्वीर का इस्तेमाल किया था.

कोर्ट ने कहा कि प्रधानमंत्री की तस्वीर का भी इस्तेमाल किया गया है, जबकि निश्चित रूप से याचिकाकर्ता का उपनाम ‘मोदी’ नहीं है. प्रधानमंत्री की तस्वीर के साथ यूट्यूब और अन्य राष्ट्रीय समाचार चैनलों पर विज्ञापन प्रसारित किए गए हैं.

आपको बता दें कि पिछले साल दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गृह मंत्रालय की शिकायत पर पांडे के खिलाफ मामला दर्ज किया था. शिकायत में आरोप लगाया गया था कि वह एक राष्ट्रीय समाचार चैनल पर प्रसारित विज्ञापन में प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल कर रहे थे. इस साल फरवरी में आरोपी को गिरफ्तार किया गया था और कुछ दिनों बाद जमानत भी दे दी गई थी.

FIR को रद्द करने की मांग करते हुए, पवन पांडे के वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट में दलील दी कि ‘मोदी चैरिटेबल ट्रस्ट’ को अलग-अलग सामाजिक उद्देश्यों के साथ रजिस्टर किया गया था और शिकायत में किसी भी अपराध का खुलासा नहीं किया गया है. इसके उल्ट, अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि पांडे ने प्रधानमंत्री के नाम पर एक NGO चलाकर लोगों को धोखा दिया और बेईमानी से प्रेरित किया. यह भी कहा गया कि उनका उपनाम पांडे किसी भी तरह से उपनाम ‘मोदी’ से जुड़ा नहीं है.

FIR में संज्ञेय अपराधों का खुलासा होने पर कोर्ट ने कहा कि पुलिस के पास आरोपों की जांच करने का वैधानिक अधिकार और कर्तव्य है. कोर्ट ने कहा कि जांच अभी शुरुआती चरण में है और कोर्ट को CrPC की धारा 482 के तहत शक्ति का इस्तेमाल करते हुए जांच को विफल नहीं करना चाहिए. जब आरोप संज्ञेय अपराध का खुलासा करते हैं, तो मामले पर गुण-दोष के आधार पर विचार करने की जरूरत नहीं है. इसलिए, इसने याचिका खारिज कर दी.

-भारत एक्सप्रेस

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