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मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति वाले नए कानून को लेकर सरकार ने दायर किया हलफनामा, अब विरोध में आई याचिकाओं पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर याचिका में नए अधिनियम के तहत मुख्य चुनाव आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों को नियुक्त करने से केंद्र सरकार को रोकने की मांग की गई है.

मुख्य चुनाव आयुक्त राजेश कुमार (बीच में) के साथ नवनियुक्त चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू (बाएं) और ज्ञानेश कुमार (दाएं).

CEC EC Appointment Case: निर्वाचन आयुक्तों के पद पर ज्ञानेश कुमार और एसएस संधू की नियुक्ति के लिए अपनाई गई प्रक्रिया के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 21 मार्च को सुनवाई करेगा. निर्वाचन आयुक्तों की हालिया हुई नियुक्ति को लोकर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी ADR और कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है.

ADR ने अपनी याचिका में केंद्र सरकार को नए अधिनियम के अनुसार मुख्य चुनाव आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों को नियुक्त करने से सरकार को रोकने की मांग की है. साथ ही याचिका में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले के अनुसार निर्वाचन आयोग के सदस्य की नियुक्ति के निर्देश देने की भी मांग की गई है.

supreme court

सरकार बोली- याचिका का मकसद सिर्फ राजनीतिक विवाद खड़ा करना

दूसरी ओर, बुधवार को ही मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और अन्य चुनाव आयुक्तों (EC) की नियुक्ति वाले नए कानून को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है. जिसमें केंद्र सरकार ने कहा है कि यह दलील गलत है कि आयोग की स्वतंत्रता तभी होगी, जब सिलेक्शन पैनल में कोई जज जुड़े. चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संस्था है. इस याचिका का मकसद सिर्फ राजनीतिक विवाद को खड़ा करना है.

14 मार्च को नियुक्त किए गए थे चुनाव आयुक्त

बता दें कि कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति ने 14 मार्च को पूर्व IAS अफसर ज्ञानेश कुमार और सुखबीर संधू को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया था.

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