श्रीनगर
Jammu and Kashmir: जम्मू और कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश में ऐतिहासिक G20 शिखर सम्मेलन होने में बस अब 9 से 10 दिनों का समय बचा हुआ है. ऐसे में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. वहीं कई लोगों का मानना है कि जम्मू और कश्मीर में यह सम्मेलन इतिहास के पाठ्यक्रम को बदल देगा. तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन में दुनिया की 60% आबादी का प्रतिनिधित्व किया जाएगा. शिखर सम्मेलन में इस क्षेत्र का पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय विषय होगा, जो पिछले तीन दशकों से आतंकवाद और हिंसा का गवाह रहा है.
वर्तमान G20 की अन्य प्राथमिकताओं में हरित विकास, जलवायु वित्त, लचीला विकास, तकनीकी परिवर्तन और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के अलावा महिला नेतृत्व विकास शामिल हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू और कश्मीर को भारत संघ के साथ एकीकृत करने का निर्णय लिया. जब अनुच्छेद 370 और 35-ए को निरस्त करने से एक नए सकारात्मक चरण की शुरुआत का रास्ता साफ हो गया.
इसके अलाव भारत के G20 प्रेसीडेंसी का विषय – “वसुधैव कुटुम्बकम” या एक परिवार, एक भविष्य, मानव, पशु, पौधे और सूक्ष्मजीवों सहित सभी जीवन के मूल्य और पृथ्वी के साथ-साथ व्यापक रूप से उनकी परस्पर संबद्धता की पुष्टि करता है.
जी-20 बैठक का क्या है उद्देश्य ?
श्रीनगर में जी20 बैठक की मेजबानी का उद्देश्य देश की समृद्ध भौगोलिक विविधता को बाहरी दुनिया के सामने उजागर करना है. कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों में भारी कमी आई है, जिसके परिणामस्वरूप केंद्र शासित प्रदेश में पर्यटकों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है. इस साल मार्च में संयुक्त अरब अमीरात ने श्रीनगर में 60 मिलियन डॉलर की परियोजना की घोषणा की.
केंद्र सरकार के सक्रिय समर्थन से उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के प्रशासन ने जम्मू-कश्मीर का चेहरा बदल दिया है. जी20 शिखर सम्मेलन के क्रम में श्रीनगर शहर का कायाकल्प हो रहा है. इसे देश के महानगरों की तरह विकसित किया जा रहा है. ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर एक नया ताजा रूप प्रस्तुत करता है क्योंकि स्मार्ट सिटी के तहत कई परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और बाकी पूरी हो रही हैं. आर्थिक विकास और बुनियादी ढांचे में सुधार पर सरकार के ध्यान से इस क्षेत्र में निवेश, सामाजिक कल्याण और स्थिरता में वृद्धि होने की उम्मीद है.
– भारत एक्सप्रेस
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