प्रेमचंद गुड्डू (फोटो ट्विटर)
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के बाद बागी हुए नेता पार्टियों के लिए बड़ी मुसीबत बन सकते हैं. प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही अपनी कई नेताओं के टिकट काटे हैं. इसके चलते बागी नेताओं का खतरा दोनों ही पार्टियों को हो सकता है. क्योंकि कुछ सीटें ऐसी हैं जहां बागी नेताओं का दबदबा है. इस बीच कांग्रेस को भी एक बड़ा झटका लगा है. टिकट न मिलने की वजह से पार्टी के दिग्गज नेता प्रेमचंद गुड्डू ने इस्तीफा दे दिया है. इसके बाद से कांग्रेस की टेंशन बढ़ गई है.
कांग्रेस ने रतलाम से प्रेमचंद गुड्डू की जगह किसी अन्य प्रत्याशी को टिकट दे दिय़ा है. इससे नाराज होकर प्रेमचंद ने निर्देलीय नामांकन पर्चा फर दिया है. वह आलोट विधानसभा सीट से कांग्रेस और बीजेपी के प्रत्याशी के सामने निर्दलीय ताल ठोकेंगे.
आलोट विधानसभा सीट बनेगा त्रिकोणीय मुकाबला
प्रेमचंद गुड्डू कांग्रेस की तरफ से दो बार के विधायक और एक बार सांसद रहे चुके हैं. ऐसे में उनका आलोट सीट पर दबदबा भी है. ऐसे में यह कांग्रेस को नुकसान भी पहुंचा सकता है. दरअसल आलोट विधानसभा सीट पर कांग्रेस के सामने बीजेपी ने पूर्व सांसद डॉक्टर चिंतामणि मालवीय को मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने विधायक मनोज चावला फिर से मैदान में उतार दिया है. ऐसे में देखने ये दिलचस्प होगा कि वह बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशी के कितने वोट काटते हैं, या निर्देलीय ही चुनाव में जीत हासिल कर सकते हैं.
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जावरा सीट पर भी त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद
आलोट विधानसभा सीट की तरह जावरा सीट पर भी त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है. यहां करणी सेना परिवार के प्रदेश अध्यक्ष जीवन सिंह शेरपुर निर्दलीय नामांकन भरा है. वह पहले कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे. हालांकि कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया. इसलिए उन्होंने भी अब चुनावी मैदान में निर्देलीय ताल ठोक दी है. वहीं कांग्रेस ने वीरेंद्र सिंह सोलंकी को मैदान में उतारा है. लेकिन जीवन सिंह का निर्देलीय मैदान में उतरना बीजेपी और कांग्रेस दोनों को ही भारी पड़ सकता है. बता कें कि बीजेपी ने यहां से राजेंद्र पांडे को टिकट दिया है.
– भारत एक्सप्रेस
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