पहलवान विनेश फोगाट (फोटो सोशल मीडिया)
WFI Row: भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है. साक्षी मलिक पहले ही कुश्ती छोड़ने का ऐलान कर दिया है. वहीं बजरंग पुनिया ने भी पद्मश्री सम्मान को प्रधानमंत्री कार्यालय जाकर वापस कर दिया था. इस बीच विनेश फोगाट ने भी बड़ा ऐलान कर दिया है. उन्होंने पीएम मोदी को पत्र लिखकर अपना मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड वापस करने की घोषणा कर दी है. उन्होंन पत्र में लिखा कि मैं अपना अवॉर्ड वापस कर रही हूं. इस हालत में पहुंचाने के लिए ताकतवर का बहुत बहुत धन्यवाद.
वहीं इसके बाद बजरंग पुनिया ने कहा कि मैं अपनी साथ विनेश फोगाट के फैसले पर निशब्द हूं. ऐसा दिन किसी भी खिलाड़ी को नहीं देखना पड़ा.
“बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” की ब्रांड एम्बेसडर बनाया था
विनेश फोगाट ने अपने पत्र में लिखा- साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ दी है और बजरंग पूनिया ने अपना पद्मश्री लौटा दिया है. देश के लिए ओलंपिक पदक मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को यह सब करने के लिए किस लिये मजबूर होना पड़ा, यह सब सारे देश को पता है और आप तो देश के मुखिया हैं तो आपतक भी यह मामला पहुंचा होगा. प्रधानमंत्री जी, मैं आपके घर की बेटी विनेश फोगाट हूँ और पिछले एक साल से जिस हाल में हूं यह बताने के लिए आपको यह पत्र लिख रही हूं. मुझे साल याद है 2016 जब साक्षी मलिक ओलंपिक में पदक जीतकर आई थी तो आपकी सरकार ने उन्हें “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” की ब्रांड एम्बेसडर बनाया था. जब इसकी घोषणा हुई तो देश की हम सारी महिला खिलाड़ी खुश थीं और एक दूसरे को बधाई के संदेश भेज रही थीं.
मैं अपना मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड वापस कर रही हूँ।
इस हालत में पहुँचाने के लिए ताकतवर का बहुत बहुत धन्यवाद 🙏 pic.twitter.com/KlhJzDPu9D
— Vinesh Phogat (@Phogat_Vinesh) December 26, 2023
आज जब साक्षी को कुश्ती छोड़नी पड़ी तबसे मुझे वह साल 2016 बार बार याद आ रहा है. क्या हम महिला खिलाड़ी सरकार के विज्ञापनों पर छपने के लिए हं बनी हैं. हमें उन विज्ञापनों पर छपने में कोई एतराज़ नहीं है, क्योंकि उसमें लिखे नारे से ऐसा लगता है कि आपकी सरकार बेटियों के उत्थान के लिए गंभीर होकर काम करना चाहती है. मैंने ओलंपिक में मेडल जीतने का सपना देखा था, लेकिन अब यह सपना भी धुंधला पड़ता जा रहा है। बस यही दुआ करूँगी कि आने वाली महिला खिलाड़ियों का यह सपना ज़रूर पूरा हो। पर हमारी ज़िन्दगियाँ उन फैंसी विज्ञापनों जैसी बिलकुल नहीं है.
हमें देशद्रोही बताया गया
सर, हमारे मेडलों और अवार्डों को 15 रुपए का बताया जा रहा है, लेकिन ये मेडल हमें हमारी जान से भी प्यारे हैं. जब हम देश के लिए मेडल जीतीं थीं तो सारे देश ने हमें अपना गौरव बतायां अब जब अपने न्याय के लिए आवाज़ उठायी तो हमें देशद्रोही बताया जा रहा हैं प्रधानमंत्री जी, मैं आपसे पूछना चाहती हूं कि क्या हम देशद्रोही हैं?
– भारत एक्सप्रेस
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