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मेडिकल पाठ्यक्रमों में पूर्व सैनिकों और सशस्त्र बल कर्मियों के बच्चों के आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए तेलंगाना राज्य, केंद्र सरकार और अन्य पक्षों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है. दायर याचिका में तेलंगाना हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है.

Supreme Court
Edited by Akansha

पूर्व सैनिकों और सशस्त्र बलों के कर्मियों के बच्चों के लिए मेडिकल पाठ्यकर्मों में एक प्रतिशत सीटों के आरक्षण को बरकरार रखने से संबंधित दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार हो गया है. जस्टिस बीआर गवई और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि अंतरिम आदेश के रूप में, हाई कोर्ट में याचिका खारिज होने से पहले की स्थिति को बरकरार रखने को कहा है.

कोर्ट ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब

कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए तेलंगाना राज्य, केंद्र सरकार और अन्य पक्षों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है. दायर याचिका में तेलंगाना हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है. तेलंगाना हाई कोर्ट ने मेडिकल पाठ्यकर्मों में आरक्षण का लाभ केवल सेना, नौसेना और वायु सेना के कर्मियों के बच्चों तक सीमित कर दिया था, और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के कर्मियों के बच्चों को इससे बाहर कर दिया था.

तेलंगाना हाई कोर्ट ने दो याचिकाओं पर सुनाया था फैसला

तेलंगाना हाई कोर्ट ने दो याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया था, जिनमें आंध्र प्रदेश/तेलंगाना गैर-सहायता प्राप्त गैर-अल्पसंख्यक व्यावसायिक संस्थानों में स्नातक मेडिकल और डेंटल पाठ्यकर्मों में प्रवेश से संबंधित नियम 2007 और तेलंगाना मेडिकल और डेंटल कॉलेज प्रवेश नियम 2017 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी. हाई कोर्ट में दायर याचिका में से एक याचिका उस छात्र ने दायर की थी, जिसके पिता सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में सेवा दी थी.

याचिकाकर्ता ने राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश की दी थी परीक्षा

याचिकाकर्ता ने राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा 2024 दी थी. छात्र द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि बीएसएफ केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और सशस्त्र सीमा बल भी CAPF का हिस्सा है. याचिका में तर्क दिया गया था कि सेना, नौसेना और वायुसेना के कर्मियों के बच्चों तक आरक्षण को सीमित करना भेदभावपूर्ण और अवैध है.

कोर्ट ने अपने आदेश में कही ये बात

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इस मामले में दिलचस्प पहेली यह है कि क्या बीएसएफ कर्मियों के बच्चे भी उसी श्रेणी में आते है? यानी जय CAPF कर्मियों के बच्चों को।सेना, नौसेनाऔर वायुसेना के कर्मियों के बच्चों के समान माना जा सकता है? हाई कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि सेना, नौसेना और वायुसेना के कर्मी एक अलग नियम/अधिनियम के तहत कार्यरत होते हैं और उनकी सेवा शर्ते CAPF कर्मियों की सेवा शर्ते से अलग होती हैं. हालांकि अदालत ने यह भी माना है कि तेलंगाना में कुछ पाठ्यकर्मों में सरकार ने CAPF कर्मियों के बच्चों को भी आरक्षण प्रदान किया है.

-भारत एक्सप्रेस 



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