रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
India Russia Trade: इजरायल और हमास की जंग (Israel-Hamas War) के चलते वैश्विक स्तर पर क्रूड ऑयल (Crude Oil) की कीमतों में उछाल देखने को मिल रहा है. इस बीच रूस (Russia) ने भारत को एक्सपोर्ट किए जा रहे क्रूड ऑयल का चीन (China) की करेंसी में भुगतान मांगा है, इस वजह से भारत और रूस आमने-सामने आ गए हैं. दरअसल, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण लगे पश्चिमी देशों के प्रतिबंध के कारण रूसी ऑयल सप्लायर्स भारत द्वारा आयात किए जाने वाले तेल के पेमेंट का लेन-देन युआन में करने की मांग कर रहे हैं… जिसे मोदी सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया है.
पीएम मोदी की अगुवाई वाली भारत सरकार ने रशियन क्रूड ऑयल इंपोर्ट के लिए चाइनीज करेंसी (Chinies Currency Yuan) में पेमेंट करने पर आपत्ति जताई है और रूस के तेल सप्लायर्स की मागों को मानने से इनकार कर दिया है. कुछ लोगों के मन में अभी यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर रूस भारत से चीनी करेंसी में पेमेंट करने के लिए क्यों कह रहा है? तो इसकी वजह ये बताई जा रही है कि यूक्रेन जंग छिड़ने के बाद से रूसी कारोबारी अपना ज्यादातर बिजनेसचाइनीज करेंसी में ही करने का तरजीह दे रहे हैं, क्योंकि रूस डॉलर या पश्चिमी देशों की करेंसी में व्यापार करने में असमर्थ है, यही कारण है कि वे भारत से भी युआन में ही पेमेंट करने के लिए दबाव बना रहे हैं. बड़ी बात यह है कि भारत की सबसे बड़ी रिफाइनरी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) ने बीते दिनों रूसी क्रूड का पेमेंट चीनी करेंसी में किया था, लेकिन उसके बाद ही मोदी सरकार ने चीनी करेंसी में किसी भी तरह के लेनदेन पर रोक लगा दी थी.
भारत ने इसलिए लगाई China के युआन में पेमेंट पर रोक
भारत चीन को अपने उूपर हावी नहीं होने दे सकता…चीन के साथ भारत के संबंध नुकसान में रहे हैं, चीन विस्तारवादी मानसिकता वाला रहा है, वो बॉर्डर पर अतिक्रमण की कोशिश करता रहा है…साथ ही उससे व्यापार में भारत को बड़ा घाटा हो रहा है, तो भारत सरकार नहीं चाहती है कि कोई तीसरा देश हमसे चाइनीज करेंसी में पेमेंट ले. ध्यान देने वाली बात यह है कि फिलहाल रूस बड़ी मात्रा में अपना क्रूड ऑयल भारत भेजता है और उससे उसे अरबों डॉलर की कमाई हो रही है. भारत रूसी क्रूड ऑयल की सप्लाई के लिए कितना अहम है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत अपनी जरूरत का 60% क्रूड ऑयल अकेले रूस से ही खरीद रहा है.
अब भारत का 5वां सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है रूस
यूक्रेन युद्ध से पहले रूस भारत के टॉप-10 ट्रेड पार्टनर्स में भी नहीं था, लेकिन अब वो भारत का 5वां सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर यानी कि व्यापारिक साझेदार है. भारत ने वित्तीय वर्ष 2022-2023 में लगभग 450 बिलियन डॉलर का माल निर्यात किया और उसी वित्तीय वर्ष में लगभग 323 बिलियन डॉलर का सेवा निर्यात किया. वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए अरबों अमेरिकी डॉलर में अपने कुल व्यापार (आयात और निर्यात का योग) के साथ भारत के सबसे बड़े व्यापार भागीदारों में रूस 5वें नंबर पर रहा. इस अवधि में भारत और रूस के बीच 44.37 अरब डॉलर का कुल व्यापार हुआ. जिसमें भारत से मात्र 2.80 अरब डॉलर का निर्यात रूस को किया गया.
— भारत एक्सप्रेस