जापान में प्राकृतिक आपदा से बर्बादी
Earthquake Tremors In Japan: नए साल की पहली सुबह ही एशियाई देश जापान प्राकृतिक आपदा का शिकार हो गया. यहां रविवार (1 जनवरी) को भूकंप के तेज झटके लगे. पहला भूकंप भारतीय समय के मुताबिक दोपहर 12:40 बजे आया, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.4 मापी गई. कुल 4 से अधिक तीव्रता के 21 झटके महसूस किए गए.
कुछ ही देर बाद जापान में भूकंप और सुनामी से हुए नुकसान की तस्वीरें दुनियाभर की मीडिया में दिखाई देने लगीं. भूकंप के कारण सैकड़ों घर-मकान तबाह हो गए. काफी लोग इधर—उधर फंस गए. समुद्र से उूंची लहरें उठने लगीं. उन लहरों के कारण कई शहरों में जलभराव की समस्या पैदा हो गई है.
जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी के मुताबिक, तेज भूकंप इशिकावा प्रांत के अनामिजु शहर में आया, जिसका केंद्र धरती से 10 किलोमीटर नीचे था. सबसे पहले यहां आज 12:40 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए. जिसके 8 मिनट बाद ही 6.2 तीव्रता का पहला आफ्टर शॉक रिकॉर्ड किया गया. उसके बाद 5.2 तीव्रता का दूसरा आफ्टर शॉक रिकॉर्ड किया गया. बताया जाता है कि इसी तरह 4 तीव्रता वाले 21 आफ्टर शॉक रिकॉर्ड किए गए हैं.
जारी की गई सुनामी की चेतावनी
पश्चिमी जापान में आए भूकंप के बाद लोगों को अलर्ट रहने के लिए कहा गया है. इसके साथ ही शासन-प्रशासन की ओर से तैयारियों को तेज कर दिया गया है. राहत-बचाव के इंतजाम किए जा रहे हैं. बचाव दलों को भी अलर्ट कर दिया गया है.
इन इलाकों में सुनामी का अलर्ट जारी
उत्तर-मध्य जापान में 7.6 की प्रारंभिक तीव्रता वाला भूकंप आया. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने इशिकावा, निगाटा और टोयामा प्रांतों के पश्चिमी तटीय क्षेत्रों में सुनामी की चेतावनी जारी की है.
5 मीटर तक उठ सकती हैं समुद्र की लहरें
जापान के मौसम विभाग से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि सुनामी आने से समुद्र में लहरें 5 मीटर तक ऊंची उठ सकती हैं. इसलिए लोगों से अपील की गई है कि जल्द ही निचले इलाकों से ऊंचे स्थानों पर पहुंच जाएं.
इसलिए आता है भूकंप
आखिर भूकंप क्यों आते हैं? इसको समझने के लिए सबसे पहले पृथ्वी की संरचना को जानना जरूरी है. हमारी पृथ्वी टैक्टोनिक प्लेट्स पर स्थित है. इन प्लेटों के नीचे तरल पदार्थ लावा है. जिसपर टैक्टोनिक प्लेट्स तैरती रहती हैं. कई बार ऐसा होता है कि ये प्लेटें आपस में टकरा जाती हैं. बार-बार टकराने से इन प्लेट्स के कोने सिकुड़ जाते हैं या फिर टूटने लगते हैं. जिससे नीचे से निकली ऊर्जा बाहर निकलने के लिए रास्ते खोजती है. जिसमें डिस्टर्बेंस होता है और इसी के बाद भूकंप की स्थिति पैदा होती है.
-भारत एक्सप्रेस
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