Mirage-2000 Fighter Planes: फ्रांस में निर्मित मिराज-2000 लड़ाकू विमान दुनिया के कई देशों की वायुसेनाओं के बेड़े का हिस्सा हैं। भारतीय वायुसेना ने इसी तरह के लड़ाकू विमानों से 2019 में पाकिस्तान की हवाई सीमा में दाखिल होकर बालाकोट के टेरर कैंप पर एयरस्ट्राइक की थी।
अब खबर है कि फ्रांस यूक्रेन को भी ऐसे लड़ाकू विमान मुहैया कराएगा। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने फ्रांसीसी मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में ये बात कही। उन्होंने कहा कि फ्रांस यूक्रेन को मिराज लड़ाकू विमानों की आपूर्ति करेगा और उसके सैनिकों को प्रशिक्षित करेगा। उन्होंने कहा, “हम यूक्रेन को नये तरीके से सहयोग करेंगे और वहां मिराज 2000-5-एस भेजेंगे।”
4,500 सैनिकों की यूक्रेनी बटालियन को ट्रेंड किया जाएगा
फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने 4,500 सैनिकों की एक पूरी यूक्रेनी बटालियन को प्रशिक्षित करने का भी वादा किया, जिसे युद्ध के मैदान में तैनात किया जाना है। उन्होंने कहा कि फ्रांसीसी लड़ाकू विमानों की डिलीवरी से “तनाव नहीं बढ़ेगा” और वादा किया कि “इनका इस्तेमाल नागरिकों पर बमबारी करने के लिए नहीं किया जाएगा”। इसके अतिरिक्त, मैक्रों ने यूक्रेन में सैन्य प्रशिक्षकों को भेजने की संभावना से भी इनकार नहीं किया।
चौथी पीढ़ी का हल्का लेकिन भरोसेमंद जेट है मिराज-2000
मिराज 2000 एक फ्रांसीसी बहु-उद्देशीय, एक इंजन वाला चौथी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, जिसे दासो एविएशन द्वारा बनाया गया है। फरवरी के अंत में पेरिस में एक बैठक के दौरान, मैक्रों ने सुझाव दिया था कि यूरोपीय देशों को यूक्रेन में सैनिकों को भेजना चाहिए। लेकिन जर्मनी, ब्रिटेन, स्पेन और इटली सहित कई अन्य यूरोपीय देश उनकी राय से सहमति नहीं हुए।
यूक्रेन को हथियार देने पर रूस ने पश्चिमी देशों को चेताया था
मैक्रों की टिप्पणियों के बाद, फरवरी में रूस ने चेतावनी थी दी कि यदि नाटो यूक्रेन में सैनिकों को भेजता है तो संगठन और रूस के बीच सीधा संघर्ष शुरू हो सकता है। इससे पहले गुरुवार को, मैक्रों ने डी-डे लैंडिंग की 80 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य पर उत्तरी फ्रांस में नॉर्मंडी के ओमाहा बीच पर एक समारोह की अध्यक्षता की।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मिले यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की
फ्रांसीसी मीडिया बीएफएमटीवी के एक लाइव प्रसारण के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की सहित 20 राष्ट्राध्यक्षों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। समारोह के लिए फ्रांस जाते समय अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जैक सुलिवन ने मंगलवार को कहा था कि अमेरिका यूक्रेन में सैन्य सलाहकारों को नहीं भेजने की अपनी नीति पर कायम रहेगा।
फ्रांसीसी तट पर 6 जून 1944 को नॉर्मंडी लैंडिंग द्वितीय विश्व युद्ध में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ था और नाजी जर्मनी के खिलाफ ‘मित्र देशों’ की जीत का मार्ग प्रशस्त किया था।
— भारत एक्सप्रेस
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