पाकिस्तान में कट्टरपंथियों की भीड़ हो-हल्ला मचाते हुए सुप्रीम कोर्ट में घुसी, एक अहमदिया को 'ईशनिंदा' में बरी करने पर बवाल
Pakistan Islamabad Protest Update: पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में बवाल हो गया. वहां कट्टरपंथियों की भीड़ ने सुप्रीम कोर्ट पर धावा बोल दिया. हजारों मुस्लिम एकत्रित होकर पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश के फैसले के विरोध में हो हल्ला करते हुए सुप्रीम कोर्ट के अंदर घुसने लगे.
इस घटना के वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. बहुत-से सोशल मीडिया यूजर्स पाकिस्तान के फ्यूचर को भी कोस रहे हैं. कहा जा रहा है कि पाकिस्तान में जब कट्टरपंथी भीड़ उग्र होकर सुप्रीम कोर्ट में घुस सकती है तो वहां बांग्लादेश जैसा उत्पात भी हो सकता है. बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना को जान बचाकर अपने देश से भागना पड़ा था.
In Pakistan :- The #SupremeCourt was attacked by a crowd of Muslims
Because the Supreme Court had said that minorities also have the right to live according to their religion.Now you see, even the Supreme Court is not safe in Pakistan.
#Pakistan #PakistanUnderFascism pic.twitter.com/KT0LUngT60
— Time Traveler (@Vicky_Ydv01) August 20, 2024
‘राइट टु रिलीजन’ के तहत सुनाया फैसला, भड़के कट्टरपंथी
पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट पर मचे बवाल के पीछे वहां के मुख्य न्यायाधीश (चीफ जस्टिस) काजी फैज ईसा के ईशनिंदा से जुड़े फैसले को वजह बताया जा रहा है. उन्होंने एक अहमदिया व्यक्ति को ‘राइट टु रिलीजन’ के तहत ईशनिंदा के आरोपों से बरी कर दिया था. इससे जमात-ए-इस्लामी और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (JUIF) के अगुआ भड़क गए. वे पाकिस्तान के काजी फैज ईसा का इस्तीफा मांगने लगे. इसके अलावा उनकी यह भी मांग थी कि अदालत अपने फैसले को पलट दे.
वॉटर कैनन, आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा
पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के सामने मचे बवाल की घटना सोमवार की है, लेकिन मीडिया पर इसके वीडियो अब वायरल हो रहे हैं. वीडियो में देखा जा सकता है कि हजारों कट्टरपंथी मुस्लिमों ने सुप्रीम कोर्ट के बाहर सुरक्षा घेरे को तोड़ दिया और अंदर इमारत तक पहुंच गए. उन्हें कोर्ट में घुसने से रोकने के लिए पुलिस-बल ने वॉटर कैनन, आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लिया.
फैसले की समीक्षा के लिए 7 सितंबर तक का वक्त
पुलिस-सुरक्षाबलों द्वारा रोके जाने पर भी बवाल शांत नहीं हुआ. वहां प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे संगठन आलमी मजलिस ने अब सुप्रीम को अपने फैसले की समीक्षा के लिए 7 सितंबर तक का वक्त दिया है. उनका कहना है कि अहमदिया व्यक्ति को ‘Right to Religion’ के तहत ईशनिंदा के आरोपों से बरी करना गलत है और उसे सरेआम फांसी दी जाए.
— भारत एक्सप्रेस