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Anupama Singh IFS: UN में पाकिस्‍तान और तुर्किये ने अलापा कश्‍मीर राग, भारत की इस बेटी ने दोनों को दिया दो-टूक जवाब

भारतीय विदेश सेवा (IFS) की अधिकारी अनुपमा सिंह ने यूएन में पाकिस्तान और तुर्किये के झूठ का सच से जवाब दिया. कश्मीर पर प्रोपेंगेडा चलाने वाले पाकिस्तान को आईना दिखाया.

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भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी अनुपमा सिंह

Anupama Singh IFS In UN: भारत की एक और बेटी ने विश्‍व बिरादरी के समक्ष संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) की बैठक में तुर्किये और पाकिस्‍तानियों की किरकरी कर डाली. पाकिस्तान ने तुर्किये का साथ लेकर जम्‍मू-कश्मीर पर विष उगला. उसके बाद भारतीय प्रतिनिधि के बोलने की बारी आई तो अनुपमा सिंह ने संबोधन दिया. अनुपमा सिंह (IFS) संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत के स्थायी मिशन से जुड़ी हैं.

अनुपमा सिंह ने स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय में कश्‍मीर मुद्दे पर पाकिस्तान को आईना दिखाया. अनुपमा कहा कि कश्मीर हमारा आंतरिक मामला है. किसी को हक नहीं है, जो हमें इस पर ज्ञान दे. पाकिस्‍तान इस मामले में दखल न ही दे. उन्‍होंने दावा किया कि पाकिस्तान का मानवाधिकार रिकॉर्ड “बेहद खराब” रहा है. वहां अतीत में जो हुआ…उससे समझा जा सकता है.

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पाकिस्तान ने आतंकवाद को पाला-पोषा: अनुपमा सिंह

अनुपमा सिंह ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक में पाकिस्तान पर वैश्विक स्तर पर आतंकवाद को प्रायोजित करने का आरोप लगाया. अनुपमा बोलीं- “भारत आतंकवाद, आर्थिक समस्याओं और अपनी सरकार के प्रति जनता के असंतोष में फंसे देश (पाकिस्‍तान) पर ध्यान केंद्रित नहीं कर सकता. उसके लिए यही बेहतर होगा कि वो हमारे आंतरिक मामले में दखल न दे, उसकी ये आदत लोगों में अंसतोष की भावना को दर्शाती है.”

पटना की रहने वाली हैं अनुपमा, पढ़ाई भी वहीं से की

बता दें कि अनुपमा सिंह बिहार से हैं. वह मूलत: पटना की रहने वाली हैं. उनकी पढाई-लिखाई भी वहीं से हुई. उनके पिता रिटायर्ड एमआर हैं और मां आंगनबाडी कार्यकर्ता रही हैं. अनुपमा का दिमाग बचपन से ही तेज था. उसने पहले पटना मेडिकल कालेज से एमबीबीएस ​की ​और उसके बाद ​बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ सर्जरी की डिग्री ली. उसके बाद अनुपमा सिंह लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (2014) से पढ़ीं.

अनुपमा सिंह 2014 बैच की भारतीय विदेश सेवा (IFS) की अधिकारी हैं. वह 9 वर्षों से अधिक समय तक भारतीय विदेश सेवा में राजनयिक रही हैं. उन्होंने केपीएमजी में भी 2 साल और 3 महीने तक काम किया, एक सलाहकार के रूप में शुरुआत की और बाद में 2012 से 2014 तक वरिष्ठ सलाहकार बनीं.

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