पीएम मोदी
वित्तीय वर्ष 2023-24 की तृतीय तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर ने भारत सहित विश्व के समस्त आर्थिक विश्लेषकों को चौंका दिया है। इस दौरान, भारत में सकल घरेलू उत्पाद में 8.4% की वृद्धि हासिल हुई है, जबकि प्रथम तिमाही के दौरान वृद्धि दर 7.8% एवं द्वितीय तिमाही के दौरान 7.6% की रही थी। पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान वृद्धि दर 4.4% रही थी। साथ ही, क्रेडिट रेटिंग संस्थान इकरा ने इस वर्ष तृतीय तिमाही में 6% की वृद्धि का अनुमान एवं भारतीय स्टेट बैंक ने भी 6.9% की वृद्धि का अनुमान जताया था। कुल मिलाकर, लगभग समस्त वित्तीय संस्थानों के अनुमानों को झुठलाते हुए सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर 8.4% की रही है।
हम सभी के लिए हर्ष का विषय तो यह है कि विनिर्माण इकाईयों की वृद्धि दर 4.8% से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2023-24 की तृतीय तिमाही में 11.6% हो गई है तथा निर्माण के क्षेत्र में वृद्धि दर 9.5% की रही है। साथ ही, खनन के क्षेत्र में वृद्धि दर 1.4% से बढ़कर 7.5% की रही है। यह तीनों ही क्षेत्र रोजगार सृजन के क्षेत्र माने जाते हैं। अतः देश में अब रोजगार के नए अवसर भी निर्मित हो रहे हैं। विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इकाईयों में वृद्धि दर आकर्षक रही है। कृषि का क्षेत्र जरूर, विपरीत मानसून एवं अल नीनो के प्रभाव के चलते, विपरीत रूप से प्रभावित हुआ है एवं कृषि के क्षेत्र में वृद्धि दर 0.2% ऋणात्मक रही है। हालांकि वित्तीय वर्ष 2019-20 से लेकर 2022-23 तक कृषि के क्षेत्र में औसत वृद्धि दर 3% प्रतिवर्ष से अधिक की रही है। परंतु, प्रकृति के आगे तो किसी की चलती नहीं है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 के तृतीय तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद के विशेष रूप से उद्योग क्षेत्र एवं सेवा क्षेत्र में वृद्धि दर के आंकड़ों को देखकर तो अब यह विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि भारत आगे आने वाले वर्षों में 10% प्रतिवर्ष की विकास दर हासिल करने की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है एवं अगले लगभग 4 साल के अंदर ही विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, वर्तमान में भारत विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। साथ ही, भारतीय शेयर बाजार भी बाजार पूंजीकरण के मामले में वर्तमान में विश्व में चौथे स्थान से तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा। क्योंकि, भारत में आर्थिक विकास की तीव्र गति को देखते हुए विदेशी निवेशक एवं विदेशी निवेश संस्थान, दोनों ही भारतीय पूंजी बाजार में अपने निवेश को निश्चित ही बढ़ाएंगे।
भारत में वित्तीय वर्ष 2023-24 की तृतीय तिमाही में अनुमानों से कहीं अधिक वृद्धि दर हासिल करने के पीछे दरअसल हाल ही के समय में आर्थिक क्षेत्र के साथ साथ सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक क्षेत्रों में हो रहे परिवर्तन भी मुख्य भूमिका निभाते नजर आ रहे हैं, इस ओर सामान्यतः विदेशी अर्थशास्त्रियों एवं वित्तीय संस्थानों का ध्यान शायद नहीं जा रहा है। हाल ही के समय में भारत में अब विभिन्न त्यौहार अत्यधिक उत्साह के साथ मनाए जा रहे हैं। इन त्यौहारों के मौसम एवं शादियों के मौसम में भारतीय परिवारों, विशेष रूप से मध्यम वर्गीय एवं उच्च वर्गीय परिवारों के खर्च में अपार वृद्धि हो रही है। इस खर्च का पूरा पैसा भारतीय अर्थव्यवस्था में आ रहा है, जिससे आर्थिक वृद्धि दर में तेजी दिखाई देने लगी है। वर्ष 2023 में दीपावली त्यौहार के दौरान लगभग 4 लाख करोड़ रुपए की राशि भारतीय परिवारों द्वारा खर्च की गई थी। शादियों के दौरान भारतीय परिवारों द्वारा अतिरिक्त खर्च किया जाना भी केवल भारत की ही विशेषता है, अन्य देशों में शादियों के दौरान इस प्रकार के खर्च नहीं होते हैं। दूसरे, भारत में हाल ही के समय में धार्मिक पर्यटन में अपार वृद्धि देखने में आई है, क्योंकि इन क्षेत्रों की आधारभूत संरचना में आमूल चूल सुधार हुआ है। पर्यटन के बढ़ने से न केवल रोजगार के लाखों नए अवसर निर्मित हो रहे हैं बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी अपार बल मिल रहा है। अयोध्या, वाराणसी, उज्जैन, हरिद्वार, वृंदावन आदि धार्मिक स्थलों पर पर्यटकों की अपार वृद्धि दिखाई दे रही है। अयोध्या में तो प्रभु श्रीराम के मंदिर के शिलान्यास के बाद से लगातार औसतन प्रतिदिन 2 लाख से अधिक पर्यटक अयोध्या पहुंच रहे हैं। इससे न केवल स्थानीय बल्कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी बल मिल रहा है।
हालांकि केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक क्षेत्र में लगातार किए जा रहे सुधारों के चलते एवं पूंजीगत खर्च में लगातार की जा रही बढ़ौतरी से भी भारतीय अर्थव्यवस्था को गति मिल रही है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में केंद्र सरकार द्वारा 10 लाख करोड़ रुपए की राशि इस मद पर खर्च की गई है जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में इस मद पर 7.5 लाख करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई थी। वहीं वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट में पूंजीगत खर्च की राशि को बढ़ाकर 11.11 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है। दूसरे, भारत में कर (प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष) के संग्रहण में भी अपार सुधार दिखाई दे रहा है। कर ढांचे को आसान बनाकर सम्बंधित नियमों के अनुपालन में सुधार कर, कर संग्रहण में 20% के आसपास की वृद्धि हासिल की गई है। देश में अनौपचारिक क्षेत्र भी तेजी से औपचारिक क्षेत्र में बदल रहा है, इससे कर संग्रहण के साथ साथ रोजगार के अवसर भी औपचारिक क्षेत्र में अधिक निर्मित हो रहे हैं तथा विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों को अतिरिक्त आर्थिक लाभ मिलते दिखाई दे रहे है।
विशेष रूप से कोरोना महामारी के खंडकाल के बाद से (वित्तीय वर्ष 2022 से वित्तीय वर्ष 2024 के बीच) भारत में औसत प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में 38,257 रुपए की वृद्धि दर्ज हुई है एवं अब यह प्रति व्यक्ति 2 लाख रुपए को पार कर गई है। इस दौरान प्रति व्यक्ति बचत एवं पूंजी निर्माण में भी वृद्धि दृष्टिगोचर है। भारत में सकल बचत की दर वित्तीय वर्ष 2023 में 30.2% से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2024 में 32.3% से अधिक रहने की सम्भावना व्यक्त की गई है, जो वित्तीय वर्ष 2014 के बाद से सबसे अधिक दर रहने वाली है। अब देश में पूंजी का उपयोग अधिक दक्षता के साथ किया जा रहा है। जिससे क्रमिक पूंजी-उत्पाद अनुपात में पर्याप्त सुधार हुआ है। यह अनुपात दर्शाता है कि अतिरिक्त उत्पाद के निर्माण में कितनी अतिरिक्त पूंजी की आवश्यकता होने वाली है। वित्तीय वर्ष 2012 में क्रमिक पूंजी-उत्पाद अनुपात 7.5 प्रतिशत था जो वित्तीय वर्ष 2023 में घटकर 4.4% हो गया है। अतः देश में वर्तमान बचत दर को देखते हुए भारत आसानी से 8% प्रति वर्ष की विकास दर हासिल कर सकता है।
कुल मिलाकर, अब भारतीयों को आर्थिक क्षेत्र में लगातार अच्छे समाचार मिलने लगे हैं क्योंकि भारत रोजाना किसी न किसी क्षेत्र में नित नए रिकार्ड बनाता दिखाई दे रहा है। इस प्रकार, अब भारतीयों को नित नए रिकार्ड सुनने की आदत बना लेनी चाहिए।
- यह आलेख प्रहलाद सबनानी, भारतीय स्टेट बैंक के सेवानिवृत्त उप-महाप्रबंधक के विचारों पर आधारित है. उनसे prahlad.sabnani@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.