Bharat Express

MP Elections: क्या है मध्य प्रदेश की ‘आदिवासी पॉलिटिक्स’, जिसे भुनाने में जुटी है बीजेपी ? जानें पूरा गुणा-भाग

Shivraj singh chouhan: आदिवासी समुदाय के लोगों को रिझाने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान लगातार बैठकें कर रहे हैं. इसके साथ ही वे आदिवासी बहुल जिलों का जमीनी स्तर पर फीडबैक ले रहे हैं.

Madhya Pradesh

क्या है मध्य प्रदेश की 'आदिवासी पॉलिटिक्स'

Madhya Pradesh Elections 2023: मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में अब कुछ महीनों का समय बचा हुआ है. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही अपने-अपने गणित लगाने शुरू कर दिए हैं. इस चुनावी मौसम में आदिवासी समुदाय पर दोनों ही पार्टियों का फोकस रहने वाला है. जानकारों का मनाना है कि इस बार प्रदेश में आदिवासी समुदाय महत्तवपूर्ण भूमिका निभाएगा. इसलिए बीजेपी ने आदिवासियों को अपने साथ जोड़ने के लिए तैयारी शुरू कर दी है. आखिर आदिवासी ही क्यों इस बार चुनाव में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं चलिए आपको बताते हैं.

मध्यप्रदेश में करीब 22 फीसदी आदिवासी मतदाताएं हैं. जो प्रदेश की कुल 230 सीटों में से 90 सीटों पर अपनी अहम भूमिका निभाते हैं. वहीं 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. इसी वजह से बीजेपी ने आदिवासी समुदाय के लोगों को अपने पक्ष में करना शुरू कर दिया है.

आदिवासियों समुदाय को रिझाने की होगी कोशिश

आदिवासी समुदाय के लोगों को रिझाने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान लगातार बैठकें कर रहे हैं. इसके साथ ही वे आदिवासी बहुल जिलों का जमीनी स्तर पर फीडबैक ले रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने दुर्गावती गौरव यात्रा निकालने जा रही है. जिसके जरिए मतदाताओं के बीच में पार्टी अपने सबसे बड़े चेहरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उतारने को तैयार है. पीएम मोदी अभी अमेरिका के दौरे पर हैं और वह 24 जून तक व्यस्त रहेंगे. लेकिन इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आदिवासी बहुल बालाघाट से यात्रा की शुरुआत करेंगे. इसके बाद पीएम मोदी 27 जून को शहडोल पहुंचकर इस यात्रा में शिरकत करेंगे.

यह भी पढ़ें- Sanjay Nishad: लव जिहाद के बाद होगी ‘भूमि जिहाद’ की शुरुआत! जानिए यूपी के मंत्री ने क्यों दिया ऐसा बयान

कितना प्रभाव डालता है आदिवासी समुदाय

साल 2013 में जब बीजेपी सरकार सत्ता में आयी थी तो उसको नुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 47 में से 31 सीटों पर जीत मिली थी, लेकिन 2018 के चुनाव में बाजी पलट गयी और कांग्रेस इस समुदाय के लोगों को रिझाने में कामयाब रही. उसने चुनाव में 30 सीटों पर जीत हासिल की और कांग्रेस ने बीजेपी को मात दे दी थी. एससी-एसटी के प्रभाव वाली करीब 90 सीटों में बीजेपी 35 के आसपास सिमट गई थी. 2023 के चुनाव में ऐसी स्थिति न हो, इसे लेकर सतर्क बीजेपी जय आदिवासी युवा संगठन (जयस) से गठबंधन पर भी बात कर रही है. पार्टी राज्य में जनजातीय गौरव दिवस के मौके पर लागू किए गए पेसा एक्ट को भी भुना रही है.

– भारत एक्सप्रेस

Bharat Express Live

Also Read