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“I m Sorry..मैं अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं कर सकता”, नागपुर हाईकोर्ट के जस्टिस रोहित देव ने बीच अदालत में दिया इस्तीफा

High Court Judge Resigns: जज देव बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ के न्यायाधीश थे. उनको साल 2017 में अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. उनका कार्यकाल 2025 में पूरा होने वाला था.

जज रोहित देव (फोटो फाइल)

Justice Rohit Dev: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) के जज रोहित देव ने बीच अदालत में सभी के सामने इस्तीफा दे दिया है. जस्टिस ने वकीलों और लोगों से भरे कोर्ट में यह कहते हुए अपना इस्तीफ दे दिया कि वह अपने आत्मसम्मान के खिलाफ काम नहीं कर सकते, मैं आत्मसम्मान से समझौता नहीं कर सकता हूं. जस्टीस रोहत देव की इस घोषणा के बाद शुक्रवार के लिए उनके समक्ष सूचीबद्ध मामले समाप्त मान लिये गये.

एक वकील के मुताबिक, कोर्ट में जज ने कहा कि, “जो लोग अदालत में मौजूद हैं, मैं आप सभी से माफी मांगता हूं. मैंने आपको डांटा क्योंकि मैं चाहता हूं कि आप सुधर जाएं. मैं आप में से किसी को भी चोट नहीं पहुंचाना चाहता क्योंकि आप सभी मेरे लिए परिवार की तरह हैं और मुझे खेद है. आपको बता दूं कि मैंने अपना इस्तीफा सौंप दिया है. मैं अपने आत्मसम्मान के खिलाफ काम नहीं कर सकता. आप लोग कड़ी मेहनत करें.”

निजी कारणों से दिया इस्तीफा

जस्टीस रोहित देव ने बाद में पत्रकारों से बात करते हुए कि मैंने व्यक्तिगत कारणों से अपना इस्ताफा दिया है और त्यागपत्र राष्ट्रपति के पास भेज दिया है. बता कि जज देव बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ के न्यायाधीश थे. उनको साल 2017 में अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. इसके बाद साल 2019 में उनको स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया. उस समय में महाराष्ट्र के वरिष्ठ अधिवक्ता थे. जज देव का कार्यकाल 2025 में पूरा होने वाला था.

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ट्रायल कोर्ट के फैसले पर लगाई थी रोक

जस्टीस रोहित देव ने पिछले साल हाईकोर्ट की दो जजों की पीठ का नेतृत्व किया था. इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर गोकलकोंडा नागा साईबाबा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. हालांकि बाद जस्टिस रोहित ने इस मामले की सुनवाई करते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द कर उन्हें बरी करने का आदेश दिया था. इसके बाद इस साल अप्रैल में SC ने साईबाबा को बरी करने के फैसले को रद्द कर दिया और मामले को एक अलग पीठ द्वारा नए सिरे से तय करने के लिए नागपुर पीठ को भेज दिया. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से चार महीने के अंदर मामले का फैसला करने को भी कहा था.

– भारत एक्सप्रेस



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