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Ramcharitmanas Controversy: ‘गर्व से कहो हम शूद्र हैं’, सपा कार्यालय के बाहर लगा पोस्टर, स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में कई OBC संगठन करेंगे पैदल मार्च

Ramcharitmanas Controversy: लखनऊ में सपा कार्यालय के बाहर एक पोस्टर लगाया गया है. पोस्टर में लिखा है कि ‘गर्व से कहो हम शूद्र हैं’. इसके अलावा 6743 जातियां.. शूद्र समाज..जय शूद्र समाज..जय संविधान लिखा हुआ है.

SAPA OFFICE

सपा कार्यालय के बाहर लगा पोस्टर (फोटो ट्विटर)

Ramcharitmanas Controversy: रामचरितमानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान के बाद अब प्रदेश में सियासत अपने चरम पर पहुंच गई है. एक तरफ हिंदू संगठन और विरोधी पार्टियां लगातार समाजवादी पार्टी पर हमलावर है तो वहीं दूसरी तरफ अब स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में कुछ ओबीसी-एससी संगठन आ गए हैं. इसी बीच आज (मंगलवार) को राजधानी लखनऊ में सपा कार्यालय के बाहर एक पोस्टर लगाया गया है. पोस्टर में लिखा है कि ‘गर्व से कहो हम शूद्र हैं’. इसके अलावा 6743 जातियां.. शूद्र समाज..जय शूद्र समाज..जय संविधान लिखा हुआ है.

इस पोस्टर को अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रीय महासभा (मुंबई) की ओर से लगाया गया है. इस पोस्टर पर संगठन के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. शूद्र उत्तम प्रकाश सिंह पटेल का भी नाम लिखा गया है.

मौर्य और सपा को OBC और SC-ST संगठन का समर्थन

सपा कार्यालय के बाहर लगा पोस्टर इसलिए चर्चा में हैं क्योंकि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने आपको मैनपुरी दौरे पर शूद्र बताया था. अखिलेश ने कहा था कि,”मैं सीएम योगी से पूछना चाहूंगा कि मैं शूद्र हूं या नहीं”. प्रदेश में अब रामचरितमानस पर विवाद बढ़ता हुआ दिख रहा है. अभी तक तो साधु-संत और बीजेपी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य और समाजवादी पर हमलावर थे लेकिन अब सपा महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में ओबीसी और एससी-एसटी संगठन उतर आए हैं. जिससे आगे की राजनीति गरमाती हुई नजर आ रही है.

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जानकारी के मुताबिक, ओबीसी और एससी-एसटी के 20 संगठन बुधवार को राजधानी में धर्म ग्रंथों के विरोध में पदयात्रा निकालेंगे. परिवर्तन चौक से भीमराव अंबेडकर प्रतिमा तक पदयात्रा निकली जायेगी, जिसमे कई पिछड़े नेता शामिल होंगे. इस दौरान सपा महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्या का सम्मान किया जायेगा.

22 जनवरी को मौर्य ने दिया था बयान

स्वामी प्रसाद मौर्य ने इसी साल 22 जनवरी को श्रीरामचरितमानस की एक चौपाई का जिक्र करते हुए कहा था कि उसमें पिछड़ों, दलितों और महिलाओं के बारे में आपत्तिजनक बातें लिखी हैं, जिससे करोड़ों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचती है. इस वजह से इस पर पाबंदी लगनी चाहिए. जिसके बाद से ही विवाद शुरु हो गया था.

– भारत एक्सप्रेस

 



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