कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी। इनसेट में महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू। एक अन्य फोटो में कांग्रेस के संस्थापक— एओ ह्यूम
Congress Party India: भारतीय राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की नेता प्रियंका गांधी ने आज एक बयान देकर अपनी पार्टी की नींव के विषय में नई बहस छेड़ दी है. लोकसभा चुनाव—2024 के मद्देनजर कांग्रेस उम्मीदवार के लिए रैली करने तेलंगाना के विकाराबाद आईं प्रियंका ने दावा किया कि कांग्रेस पार्टी की राजनीति की नींव महात्मा गांधी ने डाली थी.
प्रियंका गांधी बोलीं— “जब महात्मा गांधी ने भारत की आजादी का आंदोलन किया तो उस समय उन्होंने हमें उसूल सिखाए…वो उसूल थे, जिसने हमारे देश को आजाद किया, हमारा संविधान बनाया, हमारे लोकतंत्र की नींव डाली…कांग्रेस का सबसे गहरा उसूल है कि जनता लोकतंत्र में सर्वोपरि होती है…यहां बैठे एक-एक नेता को ये मालूम है कि उनकी जवाबदेही आपके प्रति है…जो सम्मान आपने दिया है उस सम्मान और शक्ति का आदर होना चाहिए. इसलिए हमारी प्रदेश सरकार ने आपको जो गारंटी दी थी उसे पूरा करने का काम सरकार बनते ही शुरू हो गया.”
#WATCH विकाराबाद,तेलंगाना: कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “कांग्रेस पार्टी की राजनीति की नींव महात्मा गांधी ने डाली। जब उन्होंने आजादी का आंदोलन किया तो उस समय उन्होंने हमें उसूल सिखाए। वो उसूल थे जिसने हमारे देश को आजाद किया, हमारा संविधान बनाया,… pic.twitter.com/T966Y8fTPB
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 11, 2024
28 दिसंबर, 1885 को हुई थी कांग्रेस की स्थापना
कांग्रेस पार्टी की नींव को लेकर आज दिया गया प्रियंका गांधी का बयान ऐतिहासिक रिकॉर्ड से मेल नहीं खाता. इतिहासकारों के मुताबिक, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 28 दिसंबर, 1885 को हुई थी. कांग्रेस पार्टी के जन्मदाता रिटायर्ड अंग्रेज अफसर एओ ह्यूम (एलन आक्टेवियन ह्यूम) थे. थियिसोफिकल सोसायटी के प्रमुख सदस्य रहे एओ ह्यूम की पहल पर बम्बई (बॉम्बे) के गोकुलदास संस्कृत कॉलेज मैदान में 28 दिसम्बर 1885 को कांग्रेस की स्थापना हुई थी. कांग्रेस का प्रारंभिक नेतृत्व- दादाभाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, बदरुद्दीन तैयबजी जैसे लोगों को सौंपा गया था. 28 दिसम्बर 2023 को कांग्रेस ने अपना 139वां स्थापना दिवस मनाया..अब तक 57 नेताओं ने इसकी कमान संभाली. जब देश आजाद नहीं हुआ था, तो महात्मा गांधी ने कांग्रेस का समर्थन किया था. हालांकि, जब अंग्रेजों ने भारत छोड़ा तो महात्मा गांधी ने कहा था कि अब कांग्रेस (जिसका शाब्दिक अर्थ सभा होता है) की जरूरत नहीं है, इसे भंग कर देना चाहिए. मगर, जवाहर लाल नेहरू ने उनकी बात नहीं मानी.