अशोक गहलोत
Election Commission Of India News: राजस्थान विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चुनाव आयोग सियासी दलों के चुनावी वादों पर नजर रखते हुए है. कांग्रेस पार्टी की ओर से हाल ही में मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 7 गारंटियों के विज्ञापन दिए, जिसकी शिकायत विपक्षी दल भाजपा ने चुनाव आयोग से कर दी. उस शिकायत पर अब चुनाव आयोग ने संज्ञान लेते हुए कांग्रेस की मिस्ड कॉल वाली ‘गारंटी’ पर रोक लगा दी है.
बता दें कि गहलोत सरकार के गारंटी विज्ञापनों में गारंटियों को लेकर आमजन को मोबाइल फोन पर रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए कहा जा रहा था. भाजपा ने इसे देखा और कांग्रेस की भ्रष्टतम प्रथा बताते हुए चुनाव आयोग से इसकी शिकायत कर दी. राजस्थान में गहलोत सरकार के इस कदम को चुनाव आयोग ने गलत माना है…आयोग ने इन विज्ञापनों को आदर्श आचार संहिता के नियमों के विपरीत बताया है.
प्रमाण पत्र के बिना प्रसारित किया जा रहा विज्ञापन
आज मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और महासचिव के नाम नोटिस जारी किया. आयोग की ओर से कहा गया कि राज्य स्तरीय विज्ञापन अधिप्रमाणन समिति के संज्ञान में आया है कि आपके राजनीतिक दल (कांग्रेस) की ओर से चुनाव प्रचार से संबंधित 2 IVRS/OVD संदेश राज्य स्तरीय विज्ञापन अधिप्रमाणन समिति से प्रसारण प्रमाण पत्र प्राप्त किए बिना प्रसारित किया जा रहा है.
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यह है भारतीय निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन
भारतीय निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन के मुताबिक, सियासी पार्टियों का कोई भी विज्ञापन जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर प्रसारित किया जाना प्रस्तावित है, का पूर्व अधिप्रमाणन समिति से अनुमोदन होना आवश्यक है. इसके लिए सभी सियासी पार्टियों और उनके प्रत्याशियों को निर्देश दिए गए थे. बहरहाल, गहलोत सरकार ने जब 7 गारंटियों का विज्ञापन चलाया तो चुनाव आयोग ने इस विज्ञापन को बिना अनुमति के पाया है और रोक लगा दी है.