'कृत्रिम बुद्धिमत्ता' पर अमेरिका चीन में ठनी
AI यानी Artificial Intelligence के इस्तेमाल को लेकर दुनियाभर में विचार-विमर्श चल रहा है. नई तकनीक को पसंद करने वालों के लिए ‘एआई’ वरदान की तरह है, हालांकि इसका दुरुपयोग समाज और सेलिब्रेटीज के लिए अभिशाप जैसा साबित हो रहा है.
हाल ही में जिनेवा में प्रौद्योगिकी को लेकर वैश्विक स्तर पर एक बैठक हुई, जहां ‘एआई के दुरुपयोग’ पर अमेरिका और चीनी अधिकारियों में वैचारिक नोंक-झोंक हुई.
ज़्यूरिख के बाद जिनेवा स्विट्जरलैंड का दूसरा सबसे बड़ा शहर है, वहां एआई के विषय पर हुई बैठक के बाद अमेरिका के अधिकारियों ने चीन द्वारा ‘एआई के दुरुपयोग’ को लेकर चिंता व्यक्त की तो वहीं बीजिंग के प्रतिनिधियों ने ‘प्रतिबंधों और दबाव’ को लेकर अमेरिका की आलोचना की.
चीन और अमेरिका के बीच तनाव
उच्च-स्तरीय दूतों के बीच बंद कमरे में हुई बातचीत में एआई के जोखिमों और इसे प्रबंधित करने के तरीकों को शामिल किया गया था. इस बातचीत के सारांश ने संकेत दिया कि तेजी से आगे बढ़ने वाली प्रौद्योगिकी पर चीन और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ गया है. यह द्विपक्षीय संबंधों में टकराव का एक और मुद्दा बन गया है.
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की प्रवक्ता एड्रिएन वॉटसन ने एक बयान में कहा कि चीन और अमेरिका ने एक दिन पहले ‘स्पष्ट और रचनात्मक’ चर्चा में ‘एआई सुरक्षा और जोखिम प्रबंधन के लिए अपने-अपने दृष्टिकोण का आदान-प्रदान किया’. चीन ने कहा कि दोनों पक्षों ने ‘गहनता के साथ पेशेवर और रचनात्मक रूप से’ विचारों का आदान-प्रदान किया.
दुरुपयोग पर चिंता
एआई पर इस तरह की पहली अमेरिका-चीन वार्ता सैन फ्रांसिस्को में राष्ट्रपति जो बाइडन और शी चिनफिंग के बीच नवंबर में हुई बैठक का परिणाम थी. वॉट्सन ने चीन का जिक्र करते हुए कहा कि अमेरिका ने एआई के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की है. उसके मुताबिक दुरुपयोग करने वालों में चीन भी शामिल है. उन्होंने हालांकि इस बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी कि यह दुरुपयोग किस प्रकार का है.
इस बीच चीन ने उसके खिलाफ ‘एआई के क्षेत्र में अमेरिकी प्रतिबंधों और दबाव पर सख्त रुख व्यक्त किया’. चीन के विदेश मंत्रालय के उत्तरी अमेरिकी और ओशियान मामलों के विभाग ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में यह बात कही. कुछ अमेरिकी सांसदों ने चिंता व्यक्त की है कि चीन राजनीतिक दुष्प्रचार के लिए एआई-जनित डीपफेक के उपयोग का समर्थन कर सकता है.
— भारत एक्सप्रेस