सुप्रीम कोर्ट
नोटा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है. याचिका में उन क्षेत्रों में पुनर्मतदान की मांग की गई है, जहां नोटा पर सबसे ज्यादा वोट पड़े हैं.
संवाददाता के अनुसार, यह याचिका शिवखेड़ा ने दायर की थी. उनकी याचिका में उन क्षेत्रों में पुनर्मतदान की मांग की गई है, जहां नोटा पर सबसे ज्यादा वोट हैं. वरिष्ठ वकील गोपाल शंकर नारायण ने दलील दी कि सूरत में हमने देखा कि चूंकि कोई अन्य उम्मीदवार नहीं था, इसलिए सभी को केवल एक ही उम्मीदवार पर जाना पड़ा.
इस याचिका को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम नोटिस जारी करेंगे. यह चुनावी प्रक्रिया के बारे में भी है. अब देखा यह जाना है कि चुनाव आयोग इस पर क्या कहता है.
आज यानी कि शुक्रवार को कुछ और अहम मामलों पर भी सुनवाई की. देश में बैलेट पेपर से चुनाव कराने जैसी मांगें सुप्रीम कोर्ट में नहीं चलीं,इन मामलों से जुड़ी सभी याचिकाएं खारिज कर दी गईं. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि हमने प्रोटोकॉल, तकनीकी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की है. इसके बाद हमने एक मत से फैसला दिया है.
EVM-VVPAT पर्ची का मिलान भी नहीं
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में साफ कहा गया कि देश में चुनाव इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (EVM) से ही होंगे, बैलेट पेपर से नहीं. इसके अलावा EVM से VVPAT स्लिप की 100% क्रॉस-चेकिंग भी नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट के 2 निर्देश भी आए, जिनमें पहला यह है कि सिंबल लोडिंग प्रक्रिया के पूरा होने के बाद सिंबल लोडिंग यूनिट को सील कर दिया जाए. सील की गई सिंबल लोडिंग यूनिट को 45 दिन के लिए स्टोर किया जाए. और दूसरा निर्देश यह है कि चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद अगर दूसरे या तीसरे नंबर पर आए किसी कैंडिडेट को आपत्ति है तो वह 7 दिन के भीतर शिकायत करे. EVM के भीतर माइक्रोकंट्रोलर की मेमोरी की जांच इंजीनियर्स की टीम करेगी. इस शिकायत के बाद वेरिफिकेशन की प्रोसेस का खर्च कैंडिडेट ही उठाएगा. अगर जांच में पता चलता है कि EVM से छेड़छाड़ की गई है तो जो खर्च कैंडिडेट ने किया है, उसे री-फंड कर दिया जाएगा.
— भारत एक्सप्रेस
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