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दलाई लामा ने शुरू किये दो दिवसीय विशेष प्रवचन, हजारों की संख्या में पहुंचे तिब्बती छात्र

Dalai Lama: एक तिब्बती छात्र तेनज़िन चोडन ने कहा, “परम पावन यहां हमें भाषण देने आए हैं, इसलिए हम सभी तिब्बती युवाओं के लिए विशेष रूप से आयोजित इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए यहां आए हैं”.

दलाई लामा (फोटो ANI)

Dalai Lama: तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने मंगलवार को तिब्बती युवाओं के लिए दो दिवसीय विशेष प्रवचन सत्र शुरू किया है. उनके प्रवचन को सुनने के लिए देशभर के अलग-अलग स्कूलों और कॉलेजों के दो हजार से अधिक छात्र मंगलवार को यहां धर्मशाला के मुख्य तिब्बती मंदिर सुगलगखंग पहुंचे. दलाई लामा हर साल विशेष रूप से युवा पीढ़ी को अपनी शिक्षा प्रदान करते हैं. इस दौरान तिब्बती आध्यात्मिक नेता मानवीय मूल्यों और शरण की तीन वस्तुओं (kyapdro ngotro) पर शिक्षा प्रदान करेंगे और बोधिचित्त (सेमके) की उत्पत्ति का समारोह भी आयोजित करेंगे. तिब्बती छात्र इन शिक्षाओं को बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं क्योंकि दलाई लामा हमेशा मानवीय मूल्यों को विकसित करने की कोशिश करते हैं.

एक तिब्बती छात्र तेनज़िन चोडन ने कहा, “परम पावन यहां हमें भाषण देने आए हैं, इसलिए हम सभी तिब्बती युवाओं के लिए विशेष रूप से आयोजित इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए यहां आए हैं. यह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वह हमारे लिए भगवान की तरह है. मैं बहुत खुश और धन्य महसूस कर रहा हूं.”

‘मैं बहुत धन्य महसूस कर रहा हूं.

वहीं एक दूसरे तिब्बती छात्र त्सेरिंग डिकी ने कहा कि, “आज सभी तिब्बती छात्र हमारे लिए आयोजित एक विशेष आध्यात्मिक शिक्षण में भाग लेने के लिए यहां एकत्रित हुए हैं. हमें उन मूल्यों के बारे में जानना बहुत जरूरी है जो हमें अपनी युवा पीढ़ी को सौंपने हैं. मैं यहां इस कार्यक्रम का हिस्सा बनकर बहुत धन्य और भाग्यशाली महसूस कर रहा हूं”. इससे पहले शिमला में तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं ने गुरु पद्मसंभव का जन्मदिन मनाने के लिए पारंपरिक चाम (लामा नृत्य) किया. शिमला के पास पंथाघाटी में दोर्जीदक तिब्बती बौद्ध मठ में सैकड़ों भिक्षु यहां एकत्रित हुए.

यहां लामा नृत्य के माध्यम से बौद्ध भिक्षुओं ने भगवान पद्मसंभव के 8 अवतारों के आगमन का नाटक किया और उनका स्वागत किया. यह नृत्य पारंपरिक तिब्बती वाद्य यंत्रों के साथ किया जाता है और भिक्षु मास्क पारंपरिक टोपी पहनकर आते हैं. यहां के बौद्ध भिक्षुओं का मानना ​​है कि यह गुरु पद्मसंभव को सम्मान देने के लिए किया जाता है.

– भारत एक्सप्रेस



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