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World Environment Day 2024: चरम मौसमी घटनाओं से पर्यावरण की चिंताएं बढ़ी, लोग प्रकृति के प्रति सजग हों

मौजूदा वक्त में समुद्र का बढ़ता तापमान मौसमी संबंधी घटनाओं को अंजाम दे रहा है, अम्लीय हो रहे महासागरों से तटीय कोरल रीफ्स खत्म हो रहे हैं। महत्वपूर्ण खाद्य श्रृंखला, पर्यटन और अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है।

World Environment Day 2024

पर्यावरण

जीवन स्तर में बेहतरी की दौड़ में जीवाश्म ईंधन के अनियंत्रित प्रयोग और औद्योगिकीकरण का जलवायु परिवर्तन पर विशेष प्रभाव पड़ा है। ग्रीन हाउस गैसों और कार्बन उत्सर्जन से बढ़े वैश्विक तापमान के कारण विश्व में चरम मौसमी घटनाएं हो रहीं है। भीषण तूफान, बाढ, सूखा, जंगलों की आग की घटनाएं इंसानों और वन्यजीवों को बड़ा खतरा उत्पन्न कर रही हैं। समुद्र के बढते जलस्तर से द्वीपीय विकासशील देशों और आबादी को बड़ा खतरा है।

भारत में चुनावी पारा चरम सीमा चढ़ा तो दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड आदि राज्यों के कई शहरों ने प्रचंड गर्मी के तमाम रिकार्ड तोड़ दिए हैं। ग्लेशियर पिघल रहे हैं, सर्दी के मौसम में गर्मी और गर्मी के मौसम में सर्दी की घटनाएं आम बात हो गई हैं। बड़े ही चिंता का विषय है कि वैश्विक तापमान और जलवायु परिवर्तन के कारण पर्यावरण में भारी बदलाव हो रहा है। चरम मौसमी घटनाओं से भारत ही नहीं विश्व स्तर पर भी कई देशों में उथल पुथल मची हुई है। वैश्विक स्तर पर माना गया है कि इसके लिए कहीं ना कहीं मानवीय गतिविधियां जिम्मेदार है।

World Environment Day

चरम मौसमी घटनाओं का हुआ आगाज

आप देखेंगे कि मई के महिने में दिल्ली और आसपास के राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राज्यों में 50 डिग्री सेल्सियस के आसपास तापमान पहुंच गया। इसके कारण हीट वेव की स्थिति बनी रही। बंगाल की खाड़ी में हाल ही में 135 किलोमीटर की रफ्तार से रेमल तूफान ने दस्तक दी। पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, नार्थ ईस्ट और बंगलादेश के तटवर्ती इलाकों में तबाही मचाई। अप्रैल महिने में कई राज्यों के जंगल धधक उठे। आग से वनों का क्षरण, बहुमूल्य संपदा और कार्बन नष्ट होते हैं।

असंतुलित मानसून, अत्यधिक भू-जल दोहन और कुप्रबंधन के कारण भू-जल रसातल में पहुंच गया है। देश के बेंगलूरू, दिल्ली, चेन्नई, कोलकता, हैदराबाद, जयपुर, इंदौर आदि महानगरों सहित दर्जनों शहरों में पानी का संकट गहराया हुआ है। विशेषज्ञों ने चेताया है कि ऐसा ही रहा तो पानी के संकट से और भी कई शहर जद में आ सकते हैं। नदियां पानी की कमी से सूख रही हैं। पानी के कारण देश के महानगरों में पानी की कमी से हाहाकार मचा है। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में साइक्लोन आने बढ गए हैं।

World Environment Day

मई के महिने में रिलीज हुई सेंटर फाॅर साइंस एंड एनवायरनमेंट की स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायर्नमेंट 2024 इन फिगर्स रिपोर्ट ने भारत के पर्यावरण संबधी आंकडे दिए हैं। इनमें कई चिंताजनक है। रिपोर्ट में भारत में वर्ष 2022 में जहां 365 दिन में 314 चरम मौसमी घटनाओं को देखा गया वहीं 2023 में यह 318 दिन रहा जो 2024 के तीन महिनों में जारी रहीं। 2023 में देश में रिकार्ड तोड़ तापमान बढ़ा और बारिश हुई।

पेरिस समझौता से चिंतन मनन

इतिहास के पन्नों को पलटें तो बढते वैश्विक तापमान की बढ़ोतरी और मौसम के बदलावों को लेकर संयुक्त राष्ट में 1992 में आयोजित ’रियो अर्थ समिट’ में चिंता की गई थी। फिर 1997 के क्योटो प्रोटोकाल के जरिए ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने और 2015 में आयोजित काॅप-15 पेरिस, फ्रास में पेरिस समझौते के जरिए जलवायु परिवर्तन और इसके नकारात्मक प्रभावों से निपटने को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा, सहयोग और समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया गया। इसके तहत् वैश्विक तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से कम पर सीमित कर 1.5 डिग्री सेल्सियस रखने का प्रयास किया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के नेतृत्व में और 1973 से हर साल आयोजित होने वाला विश्व पर्यावरण दिवस, पर्यावरण के प्रति जागरूकता के लिए सबसे बड़ा वैश्विक मंच बन गया है।

इसमें कोई दो राय नहीं कि इस समस्या में सबसे बड़ा योगदान विकसित देशों का है। हालांकि अभी संयुक्त राष्ट्र की काॅप 26 (ग्लासगो), काॅप 27 (शर्म अल शेख) और काॅप 28 (दुबई) में अहम् फैसले हुए हैं। इनमें सबसे बड़ी सफलता हानि एवं क्षति कोष और उर्जा उत्पादन जीवाश्म ईधन से दूर जाने का मुद्दा उठा, ग्रीन हाउस गैसों और कार्बन शमन पर दृढ़ संकल्प निर्णय हुए। पेरिस संधि के तहत् संयुक्त राष्ट्र में सभी देशों को तय कुल 17 सतत विकास के लक्ष्यों को पूरा करने का आह्वान किया है।

जलवायु परिवर्तन से बिगड़ा परिस्थिति तंत्र

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र संघ महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि समुद्र का बढ़ता तापमान चरम मौसमी घटनाओं को अंजाम दे रहा है, अम्लीय हो रहे महासागरों से तटीय कोरल रीफ्स खत्म हो रहे हैं। महत्वपूर्ण खाद्य श्रृंखला, पर्यटन और अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है।

— भारत एक्सप्रेस

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