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‘असम में कितने लोगों को दी गई नागरिकता, अवैध अप्रवासन रोकने को क्‍या किया?’, SC ने सरकार से पूछे ये सवाल

सरकार से सुप्रीम कोर्ट में यह सवाल किया गया है कि 1 जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 के बीच असम में कितने लोगों को भारतीय नागरिकता दी गई? साथ ही इस दौरान असम में कितने विदेशी पाए गए?

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सुप्रीम कोर्ट

Supreme Court Of india: सुप्रीम कोर्ट में असम में नागरिकता अधिनियम की धारा 6A को लेकर सुनवाई चल रही है. धारा 6A केस में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि 1966 से 1971 तक असम में कितनों को नागरिकता दी गई? साथ ही कोर्ट ने कहा कि सरकार यह भी बताए कि देश में, खासकर उत्तर-पूर्व में अवैध अप्रवासन को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?

सिटीजनशिप एक्ट पर कोर्ट में सुनवाई का तीसरा दिन

बता दें कि संविधान पीठ नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. सुनवाई के तीसरे दिन, आज कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार पूछे गए सवालों पर 11 दिसंबर तक हलफनामा देकर बताए.
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एक-दो दिन में हलफनामा से जवाब देगी केंद्र सरकार

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दिए. कोर्ट के इस सवाल पर कि ‘कितने लोगों को भारतीय नागरिकता दी गई?’ तुषार मेहता ने कहा कि इस बारे में हम एक-दो दिन में ही हलफनामा दाखिल कर देंगे.

आखिर क्या है असम में धारा 6A?

गौरतलब हो कि धारा 6A असमिया संस्कृति, विरासत, भाषाई और सामाजिक पहचान को संरक्षित करने के लिए तत्कालीन राजीव गांधी सरकार द्वारा असम आंदोलन के नेताओं के साथ 15 अगस्त, 1985 को हस्ताक्षरित ‘असम अकॉर्ड’ नामक समझौता ज्ञापन को आगे बढ़ाने के लिए 1955 के नागरिकता अधिनियम में डाला गया एक विशेष प्रावधान है.
मोदी सरकार आने पर धारा 6A से जुड़े कुछ खास प्रावधान किए गए. इसे लेकर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ ने स्पष्ट किया है कि पीठ का दायरा धारा 6A की वैधता की जांच करने तक ही सीमित है, न कि असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) की वैधानिकता की जांच तक.
— भारत एक्सप्रेस

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