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Odisha Train Accident: क्या होता है इंटरलॉकिंग सिस्टम ? ग्रीन सिग्नल के बावजूद क्यों लूप लाइन पर चली गयी कोरोमंडल एक्सप्रेस, जानिए हादसे की पूरी सच्चाई 

Odisha Train Accident: रेलवे की तरफ से बताया गया कि इस सिस्टम का फेल होना असंभव है क्योंकि कभी ऐसा कहीं नहीं देखा गया है कि इसकी वजह से सिग्नल गलत दिखाई दिया हो.

Odisha Train Accident

बालासोर ट्रेन हादसे की तस्वीर

Balasore Train Accident: सदी के सबसे बड़े रेल हादसों में से एक ओडिशा रेल हादसा है. इस हादसे ने देशवासियों को झकझोर कर रख दिया है. हादसे में करीब 300 लोगों के मारे जाने की खबर है वहीं 1000 के करीब लोग घायल बताये जा रहे हैं. लेकिन इस हादसे के बाद सिर्फ एक ही सवाल सभी के दिमाग में आ रहा है, वो है कि इतना बड़ा हादसा आखिर हुआ कैसे ? इस हादसे में किसी की गलती की वजह से हुआ या लापरवाही से या फिर इस हादसे को साजिश के तहत अंजाम दिया गया, ये बड़ा सवाल बना हुआ है. खैर शुरूआती जांच में रेलवे की तरफ से साफ कर दिया गया है कि इस हादसे में तीनों ट्रेनों में से किसी के भी ड्राइवर की कोई गलती नहीं है. जिसके बाद फिर सवाल उठने लगा कि ये हादसा हुआ कैसे ? प्रारंभिक जांच के बाद रेलवे ने कहा कि ये इंटरलॉकिंग सिस्टम में छेड़छाड़ करने की वजह से हो सकता है. इसके लिए सीबीआई को इस मामले की जांच सौंपी गयी है.

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे के बार से रेलवे से पूछा, तो रेलवे ने इस मामले को ब्रीफ कर जानकारी दी थी कि यह इंटरलॉकिंग सिस्टम में छे़ड़छाड़ करने की वजह से हो सकता है. रेलवे की ब्रीफ के मुताबिक, कोरोमंडल एक्सप्रेस को अपनी मेन लाइन से सीधे जाना था लेकिन वह लूप लाइन पर चली गई जिसकी वजह से इतना बड़ा हादसा हो गया. कोरोमंडल एक्सप्रेस को लूप लाइन पर भेजने के लिए इंटरलॉकिंग सिस्टम को लूप लाइन पर सेट किया होगा जिसकी वजह से ट्रेन लूप लाइन पर जाकर मालगाड़ी से टकरा गई.

कैसे काम करता है इंटरलॉकिंग सिस्टम ?

रेलवे की तरफ अपनी ब्रीफिंग में बताया गया कि रेलवे को डिजिटल की तरफ शिफ्ट कर दिया गया है ताकि ट्रेनों के लिए सिग्नल बदलने में स्टेशन मास्टर को आसानी हो. दरअसल इंटरलॉकिंग सिस्टम ट्रेनों की स्थिति जानकर, इसकी जानकारी रेलवे मास्टर के कम्प्यूटर तक पहुंचाता है. ट्रेन को मेन लाइन पर जाना है या लूप लाइन पर. ये सब ऑटोमेटिकली इंटरलॉकिंग सिस्टम तकनीकी तौर पर तय करता है और स्टेशन मास्टर को बताता है कि सिग्नल को कब कैसे चेंज करना है. अगर स्टेशन मास्टर इस पर ध्यान भी न दे तो भी ये सिस्टम ऑटोमेटिक ट्रेन की स्पीड को कम कर देता है.

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सिस्टम का अपने आप फेल होना संभव नहीं

रेलवे की तरफ से बताया गया कि इस सिस्टम का फेल होना असंभव है क्योंकि कभी ऐसा कहीं नहीं देखा गया है कि इसकी वजह से सिग्नल गलत दिखाई दिया हो. अगर सिग्नल ग्रीन होने के बावजूद अगर इंटरलॉकिंग सिस्टम सिग्नल के अनुरूप नहीं है बल्कि दूसरी दिशा में है तो इसका मतलब है कि इंटरलॉकिंग सिस्टम खराब हो गया है, लेकिन यह बहुत मजबूत सिस्टम है. तो ये गड़बड़ी हुई कैसे, क्या इसमें किसी ने लापरवाही की है या किसी ने इससे जानबूझकर छे़ड़छाड़ की, जिससे सिग्नल चेंज नहीं हुआ. जिसकी वजह से ट्रेन के ड्राइवर ने रफ्तार कम नहीं की और ट्रेन स्पीड में चलती रही.

जांच के मुताबिक ऐसा माना जा रहा है कि इंटरलॉकिंग सिस्टम से छेड़छाड़ करने के ज्यादा चांस हैं और इसे साजिश के तहम अंजाम दिया गया है. इस हादसे के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि ये हादसा इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग और और प्वाइंट मशीन में किए गए बदलाव के कारण हुआ है.

लूप लाइन पर कैसे चली गयी कोरोमंडल एक्सप्रेस ?

ये सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है कि ट्रेन को सिग्नल दिया गया था उसे मेन लाइन से रवाना होना था. वहीं ड्राइवर की आखिरी लाइन के मुताबिक, उसे ग्रीन सिग्नल मिला था, लेकिन ट्रेन सीधे जाने की बजाये लूप लाइन चली गई और लूप लाइन पर खड़ी मालगाड़ी से टकराकर पटरी से उतर गई थी. इस बीच बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस डाउन मेन लाइन से गुजर रही थी और कोरोमंडल को पलटे हुए डिब्बे इससे टकरा गए.

क्या होती है लूप लाइन और मेन लाइन ?

दरअसल किसी भी स्टेशन पर चार लाइन होती है जिससे ट्रेनों को आसनी पास कराया जा सकें. इस चार लाइनों में दो मेन और दो लूप लाइन होती है. स्टेशन में बीच में से जानें वाली दो लाइनों को मेन लाइन कहते हैं. वहीं एक लूप लाइन मेन लाइन के एक साइड होती है और दूसरी लूप लाइन मेन लाइन के दूसरी साइड. मेन लाइनों का ज्यादातर इस्तेमाल सुपरफास्ट ट्रेनों को पास कराने के लिए किया है वहीं लूप लाइप पर किसी और ट्रेन को रोकना होता है तो उस पर खड़ा कर दिया जाता है. हादसे के समय दोनों लूप लाइनों पर मालगाड़ी खड़ी हुई थीं.

– भारत एक्सप्रेस



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