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‘बंगाल की धरा इस समय अत्याचार से प्रताड़ित महिलाओं के करुण स्वरों से छलनी हो रही है’, संदेशखाली पर सुधांशु त्रिवेदी ने TMC को कोसा

Sandeshkhali Incident : पश्चिम बंगाल राज्य में संदेशखाली का मामला देशभर में चर्चा में है. वहां सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पार्टी (TMC) के नेताओं और पुलिस पर आरोप हैं कि वे महिलाओं का यौन शोषण करने वालों पर कार्रवाई नहीं होने दे रहे और उन्हें शह दे रहे हैं.

sandeshkhali incident west bengal BJP

फोटो— संदेशखाली की पीड़िताएं और TMC नेता। इनेसट में BJP के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी

West Bengal Sandeshkhali News: पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में स्थित संदेशखाली में महिलाओं पर अत्याचार का मुद्दा गरमाया हुआ है. सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पार्टी (TMC) के नेताओं और पुलिस पर आरोप हैं कि वे महिलाओं के यौन शोषण करने वालों पर कार्रवाई नहीं होने दे रहे और उन्हें शह दे रहे हैं.

आज भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने बंगाल की हालत पर TMC सरकार और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को आड़े हाथों लिया. भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा— “पश्चिम बंगाल की धरती इस समय अत्याचार से प्रताड़ित और दुखी महिलाओं के करुण स्वरों से छलनी हो रही है. दुख की बात है कि वहां की सरकार इस विषय पर अत्यंत असंवेदनशील और अमानवीय रवैया अपना रही है.”

Sudhanshu trivedi

‘पीड़िताओं पर दवाब डालने का प्रयास कर रही एसआईटी’

सुधांशु त्रिवेदी बोले— “भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष को आज भी वहां (संदेशखाली) जाने से रोका गया. कल हमारे प्रदेश अध्यक्ष को बलपूर्वक वहां जाने से रोका गया और अब सरकार ने वहां धारा 144 लागू कर दी है. वहां की SIT महिलाओं को न्याय दिलाने की जगह उन पर दवाब डालने का प्रयास कर रही है ताकि वे इस विषय को आगे ना बढ़ाए.”

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मानवाधिकार आयोग (NHRC) की टीम संदेशखाली पहुंची

इस बीच खबर आई है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की टीम संदेशखाली पहुंच गई है. ये टीम संदेशखाली की पीड़ित महिलाओं से मुलाकात करेगी. इससे पहले बंगाल पुलिस ने भाजपा की महिला टीम को संदेशखाली जाने से रोक दिया था. भाजपा डेलिगेशन की अगुआई भाजपा सांसद लॉकेट चटर्जी कर रही थीं. उस दौरान डेलिगेशन और पुलिस के बीच नोंक-झोंक भी हुई. इसके बाद लॉकेट को हिरासत में ले लिया गया. इससे पहले 16 फरवरी को भी केंद्रीय मंत्री और महिला सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को संदेशखाली नहीं जाने दिया गया था.



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