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IND vs AUS: शुभमन गिल के साथ हुई चीटिंग? कैच पर मचा बवाल तो ICC ने ‘सॉफ्ट सिग्नल’ पर दिया बड़ा बयान

Shubman Gill Controversial Catch: फाइनल मुकाबले की दूसरी पारी में भारतीय टीम के ओपनर शुभमन गिल के कैच आउट पर काफी विवाद हुआ है.

Shubman Gill

Shubman Gill Controversial Catch

IND vs AUS Stumps, WTC Final Day 4: द ओवल में चल रहे विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) के फाइनल में, जो इस समय ऑस्ट्रेलिया की ओर झुका हुआ है, टीम इंडिया उसे अपनी ओर लाने के लिए पूरी ताकत लगा रही है. इस बीच  भारत के सलामी बल्लेबाज शुभमन गिल के साथ मैच के चौथे दिन एक बड़ा विवाद देखा गया. विवाद तब शुरू हुआ जब गिल को कैमरन ग्रीन ने एक कैच लपक कर पवेलियन का रास्ता दिखाया. मैदानी अंपायर ने इस कैच की जांच के लिए थर्ड अंपायर का रूख किया और वहां गिल को आउट दिया गया. दरअसल, सबको ये संदेह था कि गेंद मैदान को टच कर रही है.  अब गेंद मैदान पर टच हुई या नहीं, इस पर पूरा क्रिकेट जगत दो भागों में बंट गया. हालांकि रिप्ले में साफ दिख रहा था कि गेंद मैदान पर टच हुई, मगर थर्ड अंपायर ने उन्हें आउट ही दिया. अंपायर के इस फैसले पर भारतीय फैंस और टीम इंडिया काफी निराश है.

शुभमन गिल के साथ हुई चीटिंग?

चौथे दिन का खेल खत्म होने के बाद से लेकर अब तक सबके मन में यही सवाल है कि क्या शुभमन गिल आउट थे या नहीं, सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर बवाल मच गया. तमाम क्रिकेट दिग्गज और फैंस इस मसले पर अपनी-अपनी बात रख रहे हैं. जब शुभमन को आउट दिया गया तो स्टेडियम में चीटिंग-चीटिंग के नारे भी लगने शुरू हो गए. वहीं रोहित शर्मा भी चिल्ला पड़े और गिल भी काफी निराश दिखे. दरअसल रिप्ले में दिखा कि ग्रीन की उंगली गेंद के नीचे नहीं थी और गेंद मैदान पर टच हुई.

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ICC ने ‘सॉफ्ट सिग्नल’ पर दिया बड़ा बयना

अब आप सोच रहे होंगे की इतना विवाद होता देख मैदानी अंपायर ने ‘सॉफ्ट सिग्नल’ के रूप में आउट या नॉटआउट का फैसला क्यों नहीं किया, इस पर आईसीसीस ने अपनी बात रखी है. ऐसा इसलिए हुआ की ठीक डब्ल्यूटीसी फाइनल पहले यह नियम हटा दिया गया है.

जबकि सॉफ्ट सिग्नल नियम के मुताबिक, जब कोई कैच संदिग्ध रहता था, तब फील्ड अंपायर अपना फैसला (आउट या नॉट आउट) सुनाते थे, उसके बाद मामला थर्ड अंपायर के अंपायर के पास भेजा जाता था. उस स्थिति में यदि थर्ड अंपायर भी संदिग्ध कैच पर फैसला लेने में कन्फ्यूज होता था, तब फील्ड अंपायर का फैसला ही कायम रहता था.

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