पीएम मोदी और जो बाइडेन
G20 Summit 2023: बात साल 2000 की बात है। उस वक्त के अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की बड़ी कोशिशों के बाद चीन को विश्व व्यापार संगठन यानी WTO में एंट्री मिल गई। क्लिंटन दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश के साथ रिश्ते सुधारना चाहते थे। क्लिंटन की इन कोशिशों से चीन को वैश्विक उत्पादन केंद्र और दुनिया का नंबर वन एक्सपोर्टर बनने में काफी मदद मिली। 23 साल पुरानी कहानी मौजूदा कॉन्टेक्स्ट में भी फिट बैठती है। बस चीन को भारत ने रीप्लेस कर दिया है।
इस साल जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के दौर पर गए थे। अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन 3 दिन की भारत यात्रा पर हैं। चलिए अब आपको बताएंगे दोनों देश एक-दूसरे के लिए इतनी अहमियत क्यों रखते हैं? बाइडेन के भारत दौरे से क्या हासिल होगा.
सबसे पहले डिफेंस डील
भारत ने अमेरिका से 3.1 अरब डॉलर में 31 MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन खरीदने का समझौता किया है. इस ड्रोन से हमारी निगरानी की ताकत में बड़ा इजाफा होगा. ये ड्रोन मिसाइल ले जाने में भी सक्षम है. इसके अलावा भारत अमेरिका से 24 और MH60 रोमिय चॉपर खरीद सकता है. वहीं अमेरिका ने F21- लॉकहीड मार्टिन ने F21 फाइटर जेट को भारत में बनाने का ऑफर दिया है. टाटा एडवांस के एयरबस से हुए करार के बाद भारतीय एयरफोर्स को C-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्रॉफ्ट मिलने का रास्ता साफ हो गया है, भारत ने बीई सिस्टम और दूसरी अमेरिकी कंपनियों से नेवल गन की खरीद कर सकता है. भारत के साथ ये सैन्य करार अमेरिकी रणनीति का खास हिस्सा हैं. जिसके तहत वो चीन के खिलाफ भारत को बड़ी ताकत के तौर पर तैयार कर रहा है.
स्ट्रैटजिक ऑपरेशन
भारत-अमेरिका-जापान और ऑस्ट्रेलिया ने मिलकर QUAD बनाया। इस संगठन का मकसद हिंद और प्रशांत महासागर को चीन की दादागीरी से मुक्त रखना है. हाल के सालों में चीन ने हिंद महासागर में अपना दखल बढ़ाया है. साथ ही पूरे साउथ चाइना सी पर अपना धावा ठोक दिया है. अमेरिका QUAD के जरिये चीन को समुद्र में चौतरफा घेरना चाहता है. इस साल जून में अमेरिका कांग्रेस की सलेक्ट कमेटी ने भारत नाटो प्लस का दर्जा देने की सिफारिश की. नाटो प्लस में अभी पांच देश हैं. जिसमें ऑस्ट्रेलिया, न्यूजलैंड, इजरायल, जापान और दक्षिण कोरिया शामिल हैं. कमेटी की सिफारिश मंजूर हुई तो भारत इसका छठा सदस्य बन जाएगा.
नाटो प्लस देशों के पास अमेरिकी डिफेंस इंडस्ट्री और टेक्नोलॉजी का एक्सेस होता है. यूएस इन देशों के साथ काउंटर टेररिज्म, जनरल मिलट्री इंफॉर्मेशन, साइबर सिक्योरिटी, लॉजिस्टिक एक्सचेंज और दूसरी अहम जानकारियों को साझा करता है.
अब सबसे अहम बात ये है कि अमेरिका को ये अच्छी तरह पता है कि चीन को टक्कर देने का माद्दा सिर्फ भारत में है. इसलिए अमेरिका भारत पर खास जोर देर रहा है. यूएस ने अपनी जिस तकनीक को नाटों देशों के साथ भी साझा नहीं किया है..उसे दुनिया का सबसे ताकतवर देश भारत को दे रहा है..
क्रिटिकल टेकनॉलाजी
भारत सरकार ने लड़ाकू विमानों के इंजन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक के साथ डील की है. ये HAL के साथ मिलकर भारत में जंगी जहाजों के इंजन बनाएगी. ये लड़ाकू इंजन तेजस मार्क-2 के लिए बनाए जाएंगे. दुनिया में साल 1930 में पहली बार जेट इंजन का पेटेंट कराया गया था. 93 साल बाद भी दुनिया के सिर्फ 4 देश ही लड़ाकू विमान के जेट इंजन बना पाते हैं. इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, और रूस शामिल हैं.
माइक्रोन टेक्नोलॉजी भारत के नेशनल सेमीकंडक्टर मिशन के तहत 800 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी. भारत सरकार देश में 2.75 बिलियन डॉलर का सेमीकंडर एसेंबल और टेस्ट करने की फैसिलिटी देगी. भारत और अमेरिका के बीच जटिल तकनीकों को सुरक्षित रखने और आपस में बांटने का समझौता भी हुआ है. इसके साथ ही इनिशिएटिव क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी यानी ICET की शुरुआत भी की गई है.
स्पेश टेक्नोलॉजी
23 जून को अमेरिकी दौरे का दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्टेमिस एकॉर्डस पर साइन किए थे. इस समझौते के तहत NASA और ISRO एक जॉइंट स्पेश मिशन के लिए सहमत हुए हैं. अब से पहले दोनों देश सिर्फ स्पेश मिशन की जानकारी साझा करते थे…लेकिन अब दोनों देश तकनीक और संसाधन भी एक दूसरे को देंगे. दोनों देश अगले साल स्पेश स्टेशन के लिए ज्वाइंट मिशन भेजेंगे. भारतीय एस्ट्रोनॉट्स 2024 में स्पेस स्टेशन जा सकते हैं.
ट्रेड डील्स
अमेरिका 2022-23 में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है. द्विपपक्षीय व्यापार 7.65 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 10 लाख 55 हजार करोड़ हो गया है. वहीं चीन के साथ व्यापार 1.5 फीसदी की गिरवाट के साथ 9 लाख 46 हजार करोड़ रह गया है. अमेरिका WTO में भी भारत को लगातार आगे बढ़ा रहा है.. सबसे बड़ी बात ये है कि अमेरिका और भारत के बीच हो रहे हर समझौते में दोनों देश बराबरी पर खड़े हैं..
अप्रवासी भारतीय
50 लाख आबादी के साथ भारतवंशी अमेरिका में दूसरा सबसे बड़ा अप्रवासी समूह है. अमेरिकी कांग्रेस में 5 भारतीय सांसद हैं. भारतीय प्रवासियों के बीच मोदी की गहरी पैठ है. बाइडेन भी 2024 मोदी के जरिये 50 लाख भारतीयों को साधना चाहेंगे.
अमेरिका के लिए भारत की अहमियत
पिछले पांच सालों में भारत में मल्टिनेशनल कंपनियों का मुनाफा 80 फीसदी से बढ़कर 56 अरब डॉलर हो गया है. लिहाजा अमेरिकन कंपनियां भारत से रिश्ते बेहतर कर यहां ज्यादा से ज्यादा कारोबार करना चाहती हैं.
बाइडेन के दौरे से भारत को क्या हासिल होगा
बाइडेन पीएम मोदी को अगले साल के रिपब्लिक डे गेस्ट का न्यौता दे सकते हैं. मोदी की बाकी 3 क्वाड राष्ट्रध्यक्षों को भी ये निमंत्रण दिया जा सकता है. पांच ताकतवर देशों के एक साथ आने पर चीन को बडा कूटनीतिक झटका लगेगा. अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा में स्थायी और अस्थायी दोनों तरह के सदस्य बढ़ाने का समर्थन कर रहा है. सितंबर 2022 में बाइडेन ने भारत और जापान की को स्थाई सदस्य बनाने का समर्थन किया था. ऐसे में बाइडेन भारत के लिए काफी अहम हो सकते हैं.