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तमिलनाडु में होता रहेगा जल्लीकट्टू, कंबाला और बैलगाड़ी दौड़ भी कानून वैध, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- संस्कृति का हिस्सा

Tamil Nadu: सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने 18 मई को जल्लीकट्टू, कंबाला और बैलगाड़ी दौड़ को वैध मानते हुए तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र सरकार को बड़ी राहत दी है। पिछले साल पांच जजों की संविधान पीठ ने दिसंबर में इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

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तमिलनाडु में होता रहेगा जल्लीकट्टू

Supreme Court Order on Jallikattu: सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में होने वाले पारंपरिक खेल ‘जल्लीकट्टू’ पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. देश की सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने गुरुवार को जल्लीकट्टू, कंबाला और बैलगाड़ी दौड़ की अनुमति देने वाले कानूनों की संवैधानिकता पर तमलिनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र को बड़ी राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए विधानसभा और संस्कृति का हवाला दिया है.

अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “जब सरकार ने जल्लीकट्टू को संस्कृति का हिस्सा घोषित कर दिया है तो हम इस पर अलग नजरिया नहीं दे सकते. इस पर फैसला देने के लिए विधानसभा ही सही जगह है.”

5 सदस्यीय बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था

गौरतलब है कि 8 दिसंबर 2022 को मामले की सुनवाई की गई थी. तब जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस ऋषिकेश राय और जस्टिस सीटी रविकुमार की 5 सदस्यीय बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. अब इस फैसले पर बेंच ने अपना फैसला दिया है.

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सुप्रीम कोर्ट में जल्लीकट्टू पर तमिलनाडु ने अपना पक्ष जोरदार ढंग से रखा था. कोर्ट को राज्य सरकार ने बताया था कि यह पारंपरिक खेल सिर्फ मनोरंजन नहीं बल्कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व वाला खेल है. इसमें साढ़ों के साथ क्रूरता नहीं होती. सरकार ने स्पेन, पेरू और कोलंबिया जैसे देशों का उदाहरण दिया, जहां पर बुल-फाइट वहां की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है. यह भी बताया गया कि जल्लीकट्टू में हिस्सा लेने वालों साढ़ों को एक साल पहले से ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि उन्हें कोई परेशानी न हो.

– भारत एक्सप्रेस

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