दिल्ली में लगे विश्व पुस्तक मेले की झलक. यहां पुस्तक प्रेमी उमड़ रहे हैं.
World Book fair 2024 Delhi: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान में विश्व पुस्तक मेले का आयोजन हो रहा है. आज शनिवार को इस पुस्तक मेले में करीब 1.5 लाख पाठक आ पहुंचे. आयोजकों ने बताया कि नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में पुस्तक प्रेमियों की बेशुमार भीड़ उमड़ रही है. यहां प्रगति मैदान में साहित्यकारों, शिक्षाविदों और लाखों पुस्तक प्रेमियों के आने से हॉल नंबर 1 से 5 जैसे जीवंत हो उठे.
विश्व पुस्तक मेले में लोगों द्वारा उनकी पसंदीदा पुस्तकें खरीदी गईं, चर्चाएँ हुईं, सेल्फी ली गईं, सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए और देश-विदेश की संस्कृति को बहुत ही खूबसूरत ढंग समझा गया. लगातार बढ़ती भीड़ को देखते हुए और पाठकों की सुविधा के लिए नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया ने 17 और 18 फरवरी को प्रगति मैदान गेट नंबर 4, प्रगति मैदान तक अतिरिक्त शटल सेवा को लगाया है. पुस्तकों के पाठक भैरों मंदिर की पार्किंग, नेशनल स्टेडियम, गेट नंबर 4 और गैलरी आॅफ मॉडर्न आर्ट (बस स्टॉप के पास) से शटल सेवा का लाभ उठा सकते हैं.
दिव्यांग छात्रों को नि:शुल्क ब्रेल पुस्तकें
हॉल नंबर 1 में ‘बुक्स फॉर ऑल’ अभियान के तहत राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत ने अखिल भारतीय नेत्रहीन संघ, नई दिल्ली के यूडीआईडी धारक 24 दिव्यांग बच्चों को ब्रेल पुस्तकें वितरित कीं. दिव्यांग छात्रों की शिक्षक पूनम राणा बताती हैं कि वे पिछले 18 वर्षों से दिव्यांग बच्चों को पढ़ा रही हैं. स्कूली पाठ्यक्रम से हटकर पहली बार बच्चों के लिए तैयार कहानियों की ब्रेल पुस्तकों से दिव्यांग बच्चों की कल्पनाशक्ति को उड़ान मिलेगी.
पुस्तक विमोचन और परिचर्चाओं का समागम
शनिवार को एक तरफ जहाँ हर आयु के पाठक अपनी मनपसंद पुस्तकों को खरीदकर घर ले जाते दिखे, वहीं हॉल 2 से 5 में सजे लेखक मंच, बाल मंडप, थीम मंडप और अंतर्राष्ट्रीय गतिविधि मंच जाने—माने साहित्यकारों, कलाकारों, पत्रकारों की उपस्थिति का गवाह बने.
हॉल 5 थीम मंडप में फेस्टीवल्स आॅफ फेस्टीवल के तहत भारत लिटरेचर फेस्टिवल द्वारा ‘भारत—पाक संबंधों में कूटनीति पर चर्चा’ सत्र का आयोजन हुआ. आईएफएस अधिकारी, रणनीतिक सलाहकार और अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार श्री अजय बिसारिया ने भारत-पाक संबंधों में कूटनीति पर विस्तार से चर्चा की. इस सत्र में उन्होंने अपनी पुस्तक ‘एंगर मैनेजमेंट : द ट्रबल्ड डिप्लोमेटिक रिलेशनशिप बिटविन इंडिया एंड पाकिस्तान’ पर चर्चा की.
द ग्रेट इंडियन बुक टूर द्वारा “भारत के लेंस के माध्यम से कविता” विषय पर आयोजित सत्र में प्रसिद्ध साहित्यकारों प्रेरणा सिन्हा, परिश्मिता बरुआ, डॉ. रितु कामरा कुमार द्वारा कविता के विभिन्न पक्षों पर विचार व्यक्त किए. डॉ. रितु कामरा कुमार ने कहा कि “कागज में लोगों की तुलना में अधिक धैर्य होता है.” उन्होंने रवीन्द्रनाथ टैगोर की एक कविता सुनाई, जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया कि कविता दो प्रकार की होती है – या तो वह आपके दिल को छूती है और आपको प्यार में डाल देती है, या वह आपके दिमाग को छूती है और विद्रोह को जन्म देती है.
एफओएफ के तहत ही ‘फूड फ्रेंडशिप एंड कम्युनियन : ए कन्वर्सेशन विद शेफ्स एंड कुकबुक ऑथर्स’ विषय पर एक पैनल चर्चा का भी आयोजन हुआ. इस सत्र में इंडियन कलिनरी फोरम के अध्यक्ष और प्रसिद्ध शेफ मनीष भसिन एवं सदफ हुसैन ने अपने विचार रखे और श्रोताओं को बताया कि आज खाद्य उद्योग का भविष्य उज्ज्वल है और युवाओं की इसमें रुचि बढ़ रही है.
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के दौरान अंतर्राष्ट्रीय गतिविध कॉर्नर में किंग अब्दुलअजीज फाउंडेशन ने मेजेनाइन हॉल में ‘फोरम ऑफ अरेबिक हेरिटेज इन इंडिया प्रोग्राम’ का आयोजन किया. तीन विविध सत्रों ‘भारतीय विद्वानों का अरबी संस्कृति में योगदान’, ‘अरबी संस्कृति-सेवा में भारतीय संस्थानों का योगदान’ और ‘अरबी संस्कृति सेवा में सऊदी अरब के संस्थानों का योगदान’ के दौरान व्यापक वैश्विक संदर्भ में भारत की ज्ञान प्रणालियों और संस्थानों के दूरगामी प्रभाव पर प्रकाश डाला गया. इन सत्रों में प्रोफेसर मो. अयूब अल-नदुई, प्रोफेसर नसीम अख्तर, प्रोफेसर नईम अल-हसन अतहरी, हबीब अल्लाह खान, प्रोफेसर इस्फाक अहमद, डॉ. अंसार अल-दीन ताज अल-दीन, डॉ. उबैद अल-रहमान तैय्यब आदि अनेक विद्वानों के अपने विचार प्रस्तुत किए. सत्र में भारतीय छात्रों को अरबी भाषा अध्ययन के लिए जामिया मिलिया इस्लामिया और केरल विश्वविद्यालय जैसे भारतीय संस्थानों की सराहना की गई.
दादा-दादी, नाना-नानी की कहानियों वाला साहित्य
अद्विक पब्लिकेशन से आई स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय के निदेशक और वरिष्ठ साहित्यकार जय प्रकाश पांडे के बाल कहानी संग्रह नीली राजकुमारी और वरिष्ठ साहित्यकार और व्यंग्यकार सुभाष चंदर की हास्य कहानियों की पुस्तक ‘दाने अनार की’ का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में आए वरिष्ठ साहित्यकार रामनाथ त्रिपाठी ने कहा, ”पढ़ने की परंपरा से युवा दूर होते जा रहे हैं, दादा—दादी, नाना—नानी कहानियाँ सुनाते थे, बच्चे के लिए वे ही प्रथम रचनाकार होते थे, लेकिन अब धीरे-धीरे संयुक्त परिवार विखंडित हो रहे हैं, ऐसे में साहित्यकार उस परंपरा को बरकरार रखने के कार्यवाहक हैं।”
‘एक शूरवीर की अमर गाथा’ पर भी चर्चा
इसी मंच पर हाईब्रो स्क्राइब पब्लिकेशंस की पुस्तक ‘एक शूरवीर की अमर गाथा’ पर भी चर्चा की गई। पुस्तक लेखिका शकुंतला अजीत भंडारकर ने अपने पति, शौर्य चक्र से सम्मानित लेफ्टिनेंट कर्नल अजीत भंडारकर की शौर्य गाथा को अपनी पुस्तक में लिखा है। यह पुस्तक अंग्रेजी में पहले से पाठकों के बीच थी, नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में इसके हिंदी संस्करण ‘एक शूरवीर की अमर गाथा’ का विमोचन किया गया। यह पुस्तक मिस्टर भंडारकर का जो त्याग है, उससे दूसरों को प्रेरणा लेने के प्रयास में महत्वपूर्ण कदम है। इस कार्यक्रम में सेवानिवृत्त कैप्टन रामनाथ मंजेश्वर की पुस्तक ‘शकु — साधारण से, वीर नारी तक..’ का भी विमोचन किया गया। यह पुस्तक लेखिका शकुंतला अजीत भंडारकर के संघर्षपूर्ण जीवन को बयान करती है। लेखक मंच से ही जाने—माने लेखक तेज प्रताप नारायण की तीन पुस्तकों का भी लोकार्पण हुआ- एक नदी थी सई, बुद्ध होने के मायने, गोली डंडा व होईगा, पेट चीर दिया ब होईगा।
एलियन को उतारा कल्पनाओं में
बच्चों में कल्पनाशीलता और जिज्ञासा को विकसित करने और बढ़ाने के लिए डिस्कवरी किड्स ने एक रोचक सत्र का आयोजन किया। इसमें विभिन्न आयु वर्ग के बच्चों ने मंगलग्रह से आए एक काल्पनिक एलियन का चित्र बनाया। ड्राइंग प्रतियोगिता के बाद कार्टून नेटवर्क के चरित्र “रॉबिन और स्टार फायर” ने अपने नृत्य से सभी का मन मोह लिया। सेंटर फॉर स्पेस साइंस एंड अर्थ हैबिटेबिलिटी, भोपाल ने भी एक रोचक सत्र का आयोजन किया, जिसमें वैज्ञानिक गोपालन श्रीनिवासन ने जेएनयू की रितिका गौड़ के साथ बच्चों को सभी ग्रहों के विभिन्न चंद्रमाओं, उनके गठन, आकार और उसके आस—पास के वातावरण के बारे में बताया। इस दौरान चंद्रयान मिशन और अंतरिक्ष अन्वेषण में चंद्र मिशन के महत्व के बारे में भी जानकारी दी गई।
बाल मंडप में पराग इनीशिएटिव ऑफ टाटा ट्रस्ट द्वारा आयोजित सत्र में ‘बहुभाषी भारत-एक जीवंत परंपरा’ की थीम के अंतर्गत प्रख्यात कथाकार वसुंधरा बहुगुणा ने हिंदी भाषा में तीन कहानियाँ ‘जोखू का डरावना डर’, ‘असामो, क्या ये तुम हो?’ और ‘भूतों का रंगमंच’ सुनाईं। ये मनोरंजक और ज्ञानवर्धक कहानियाँ माजुली द्वीप के पौराणिक पात्रों पर आधारित थीं जो बच्चों और समाज के बीच उनके बारे में मिथक को तोड़ने का प्रयास करती हैं।
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के हॉल 3, बाल मंडप में बच्चों, विशेष रूप से प्रवासी श्रमिकों के बच्चों के बीच पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए, डॉ. पियाली धर ने एक गतिविधि आधारित सत्र का आयोजन किया। इस सत्र में प्रत्येक छात्र ने बक्से से कागज का एक टुकड़ा उठाया और उस पर लिखे नाम के आधार पर चित्र बनाया। यह एक बेहद दिलचस्प और मजेदार सत्र था जिसमें बच्चों और उनके माता-पिता ने भाग लिया। इस गतिविधि के माध्यम से मनोरंजन के साथ सीखने और छात्र जीवन में समग्र विकास के लिए पाठ्यक्रम के अलावा दूसरी पुस्तकों को पढ़ने के महत्व के बारे में जागरूकता के प्रसार का प्रयास किया गया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम
सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अंतर्गत भाषाओं के रंग, कवियों के संग में विभिन्न भाषाओं में कविता पाठ किया गया। शादाज बैंड द्वारा आकर्षण प्रस्तुति और हिमालयन बिट्स पर प्रस्तुति जैसे कार्यक्रमों ने दर्शकों को बांधे रखा।