World Book Fair 2024: विश्व पुस्तक मेले के इंट्रैक्टिव सेशन ‘राष्ट्र निर्माण में लेखकों की भूमिका’ में उपेंद्र राय
World Book Fair 2024: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेले (वर्ल्ड बुक फेयर) में पीएम युवा ऑथर्स के इंट्रैक्टिव सेशन में ‘राष्ट्र निर्माण में लेखकों की भूमिका (Role of authors In Nation Building)’ पर भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के चेयरमैन, प्रबंध निदेशक और एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय ने संबोधन दिया. इस विशेष सेशन के दौरान उन्होंने युवाओं को किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित किया.
उपेंद्र राय ने युवाओं को पुस्तकों का महत्व समझाते हुए कहा, “किताबें हमें बहुत कुछ सिखाती हैं..समझाती हैं. कहने वालों ने कहा भी है कि हजार पन्ने पढ़िए. तब एक पन्ना लिखिए…और लिखिए जरूर. यदि कुछ लिखने को नहीं बनता है तो अपनी दिनचर्या के बारे में ही लिखिए. बहुत गहराई से अपने किसी करीबी मित्र के बारे में, जिसको आप चाहते हैं या जिसको आप नहीं चाहते हैं. दोनों के बारे में आप थोड़ा-बहुत लिखिए. और उसको किसी को मत दिखाइए. एक हफ्ता जब बीत जाए तो उसको आप खुद पढ़िए. पढ़ने के बाद उस पर चिंतन-मनन कीजिए. चिंतन-मनन करने के बाद आगे बढ़िए.”
‘किताबें पढ़ने से मिला आइडिया जीवन बदल देता है’
भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के चेयरमैन, प्रबंध निदेशक और एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय ने कार्यक्रम में मौजूद श्रोताओं को किताबों की अहमियत समझाई. उन्होंने कहा— “हमारे यहां जितने फ्रीडम फाइटर थे, जितने महापुरुष हुए…हिंदुस्तान में या हिंदुस्तान के बाहर भी, जिनके आज यूनिकॉर्न-स्टार्टअप हैं पूरी दुनिया में, उन सभी लोगों का इंटरव्यू मैंने देखा. और सुना भी. तो सबने एक बात को स्वीकार किया कि जब हमारे पास खाली वक्त होता है तो हम किताबें पढ़ते हैं. पूछने वालों ने जब उनसे पूछा कि आप किताबें पढ़ते हैं तो उनसे क्या फायदा होता है? जवाब में उन्होंने कहा कि किताबें पढ़ने से हमें एक ऐसा आइडिया मिलता है..जो हमारे पूरे विजन को बदल देता है, हमारे पूरे जीवन को बदल देता है.”
नामचीन बिजनेसमैन वारेन बफेट भी किताबों के शौकीन
किताबें स्ट्रेस लेवल घटाने में कारगर रही हैं, इस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा— “नामचीन अमेरिकी व्यवसायी वारेन बफेट से भी पूछा गया कि आप युवाओं के लिए क्या सलाह देना चाहेंगे? तो वारेन बफेट ने कहा कि मैं युवाओं को एक सलाह देना चाहूंगा कि आपको किताब मिले तो खूब जी लगाकर पढ़ें. क्योंकि, रीडिंग रिसर्च पढ़ने को मिला..जिसमें ये है कि अगर आप 20 मिनट कोई किताब पढ़ते हैं तो आपका स्ट्रेस लेवल 68% कम हो जाता है. आप जब कोई किताब 20 मिनट के लिए पढ़ते हैं तो जितना तेज चलने से आपका स्ट्रेस कम होता है..उतना तेजी से आपका तनाव कितना पढ़ने से कम होता है. किताबों से आपके दिमाग की बहुत अच्छी कसरत होती है..जिससे मस्तिष्क के कई खतरे कम होते हैं.”
‘किताबों ने देश बदले..सीमाएं बदलीं..सभ्यताएं बदली हैं’
अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा— “जब पश्चिम में 1453 में इस्तांबुल में (दो महाद्वीपों में स्थित दुनिया का एकमात्र शहर) जो यूरोप एशिया का मीटिंग पॉइंट है, जब रोमन एम्पायर ने उस पर कब्जा कर लिया तो जितने ग्रीस के स्कॉलर थे..उस वक्त वहां से किताबों को लेकर कोई रोम के लिए..कोई मिलान के लिए निकला. उसके बरसों बाद वहां इटली के लोगों को, यूरोप के लोगों को उन किताबों को पढ़ने का मौका मिला और उनको पढ़ने के बाद यूरोप में नव-जागरण आया. और, आगे चलकर जब फ्रांसिसी क्रांति हुई तो उसके सूत्रधार वाल्तेयर और रूसो थे तो वे किताबों को तकिए के नीचे रखकर सोते थे. तो किताबों ने कैसे सभ्यताएं बदली हैं..कैसे देश बदले हैं…कैसे सीमाएं बदली हैं…इसको आप किताबों को पढ़ते वक्त समझते होंगे. जानते भी होंगे. महसूस भी करते होंगे.”
जूलियस ने सोने को नहीं, किताबों को दी थी अहमियत
एक रोमन जनरल और राजनेता जूलियस सीजर के किताबी प्रेम का जिक्र करते हुए उपेंद्र राय ने कहा— “किताबों का हमारा जो संसार है वो ही हमारा सबसे गहरा और अच्छा मित्र है, तो ऐसी स्थिति में हमें एक और अच्छी बात हमें याद आ रही है कि जूलियस सीजर (Julius Caesar) एक बार जहाज से यात्रा कर रहे थे, वो अपने जमाने में बहुत अमीर थे..उस जहाज पर बड़ी मात्रा में सोना लदा था और बड़ी तादाद में किताबें भी थीं. जहाज एक तूफान में फंसा तो उन्होंने सारा सोना उतारकर फेंक दिया. और किसी तरह जब वो बचकर किनारे पहुंचे तो लोगों ने पूछा— ‘आपके पास इतना ज्यादा सोना था, वो आपने समुद्र में फेंक दिया. इससे अच्छा तो किताबें फेंक देते. सोना बचा लाते..सोना बहुत कीमती था.’ तो जूलियस सीजर ने कहा कि मुझे सोने के बारे में और सोने को जमीन से निकालने का, सोने को शुद्ध करने का ज्ञान भी तो इन्हीं किताबों से पाया था. अगर मैं इन किताबों को बचाकर रखूंगा तो सोना जब चाहूंगा और प्राप्त कर लूंगा. या मेरी आने वाली पीढ़ियां प्राप्त कर लेंगी. लेकिन अगर किताबें न रहीं, तो सोने का मूल्य भी खाक बराबर हो जाएगा.”
भारत एक्सप्रेस के एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय का संबोधन –
इस प्रकार ‘राष्ट्र निर्माण में लेखकों की भूमिका’ इंट्रैक्टिव सेशन में भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के चेयरमैन, प्रबंध निदेशक और एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय ने पुस्तकों के महत्व पर भी जोर दिया. उनका पूरा संबोधन सुनने के लिए आप भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क का TV चैनल देख सकते हैं, यूट्यूब पर यहां लाइव भी देख सकते हैं.
World Book Fair 2024: 11 फरवरी को 'राष्ट्र निर्माण में लेखकों की भूमिका' पर आयोजित सत्र में CMD Upendrra Rai शामिल#WorldBookFair2024 #BookFair2024 #BookFair #UpendrraRai #BharatExpress | @UpendrraRai https://t.co/o1nbmk5ORE
— Bharat Express (@BhaaratExpress) February 11, 2024
संबोधन के बाद भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के चेयरमैन, प्रबंध निदेशक और एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय के साथ आयोजन-स्थल पर उपस्थित लेखकों और होनहार युवाओं ने इस तरह ग्रुप फोटो भी कराया.
विश्व पुस्तक मेले में दिखा भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के चेयरमैन, प्रबंध निदेशक और एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय का अलग अंदाज.
— भारत एक्सप्रेस